साइबर सिक्योरिटी कंपनी Surfshark के जरिए हाल ही में की गई एक स्टडी के मुताबिक, 8 साल से 12 साल की उम्र के 10 में से छह बच्चे ऑनलाइन साइबर रिस्क के संपर्क में हैं। दो में से एक बच्चा साइबर धमकी का शिकार है और लगभग एक तिहाई को फिशिंग या हैकिंग जैसे साइबर क्राइम से भी जूझना पड़ता है। बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम प्रति वर्ष 5 से 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। साल 2020 में रिमोट लर्निंग की लोकप्रियता के साथ यह 144 प्रतिशत बढ़ा है। बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम से होने वाला फाइेंशियल नुकसान 660,000 डॉलर यानी कि भारतीय करेंसी के हिसाब से करीब 50,313,400 रुपये हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते तीन सालों में अमेरिका में करीब 12 मिलियन बच्चे साइबर रिस्क में आए, 9 मिलियन साइबर धमकी से प्रभावित हुए और 6 मिलियन ने साइबर थ्रेट का सामना किया। थाईलैंड, फिलीपींस और तुर्की में बच्चों के लिए सबसे ज्यादा ऑनलाइन रिस्क लेवल है, वहीं जापान, इटली और स्पेन जैसे देशों में सबसे कम ऑनलाइन रिस्क लेवल है। भारत और जापान ऐसे देश हैं जहां ऑनलाइन रिस्क को मैनेजमेंट कर सकता है।
स्टडी से पता चलता है कि ऑनलाइन सेफ्टी एजुकेशन बच्चों को साइबरबुलिंग से निपटने, फिशिंग और अन्य साइबर खतरों से निपटने में मदद करती है। सऊदी अरब और उरुग्वे जैसे देशों में बच्चों के लिए बेसिक इंटरनेट सेफ्टी तक नहीं है। वहीं एशिया-पेसिफिक देशों जैसे कि भारत, मलेशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में बच्चों के पास बच्चों के लिए ऑनलाइन रिस्क मैनेजमेंट स्किल है। स्टडी में बताया गया है कि भारत में ग्लोबल औसत के मुकाबले में 30 प्रतिशत मजबूत ऑनलाइन सेफ्टी एजुकेशन प्रोग्राम हैं। वहीं मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत से भी बेहतर ऑनलाइन सेफ्टी एजुकेशन प्रोग्राम हैं।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।