नई दिल्ली: जब भी ग्रह और तारों की बात सामने आती है तो दिमाग में हमारे सोलर सिस्टम का मॉडल सामने आता है जहां सूर्य के चारों तरफ हमारी पृथ्वी सहित 8 ग्रह चक्कर लगा रहे हैं. सोलर सिस्टम के केंद्र में सूर्य होता है और उसके चारों तरफ एक निश्चित कक्षा में ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं. लगभग यही मॉडल पूरे ब्रह्मांड का है जहां एक तारा होता है और ग्रह उसके चक्कर लगाते हैं. हम इन्हें एक अच्छे परिवार की तरह मानते हैं जहां सभी नियमों का पालन करते हैं.
अरबों ग्रह हैं जो अकेले अंतरिक्ष में घूम रहे हैं
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION न्यूज के अनुसार, ब्रह्मांड में कुछ ऐसे ग्रह भी हैं जिनका कोई तारा नहीं है. तब ये ग्रह किसका चक्कर लगाते हैं? यह ग्रह ऐसे ही ब्रह्मांड में घूमते रहते हैं. एक अनुमान के अनुसार, हमारी गैलेक्सी में ऐसे अरबों ग्रह हैं जो अकेले अंतरिक्ष में घूम रहे हैं. ये ग्रह ऐसे होते हैं जैसे भुतहा जहाज समुद्र में ऐसे ही घूम रहा है और उस जहाज को नहीं पता कि उसे जाना कहां है.
170 दुष्ट ग्रहों की खोज
फ्रांस की Laboratoire d’Astrophysique de Bordeaux के रिसर्चर ने ऐसे ही 170 दुष्ट ग्रहों की खोजा है. ये रिसर्चर इसके लिए यूरोपियन साउथर्न ऑब्जरवैटरी के रिसोर्स का इस्तेमाल करते हैं.
ये दुष्ट ग्रह अंतरिक्ष में गैस और धूल से बने होते हैं. गैस और धूल से अंतरिक्ष में तारे बनते हैं लेकिन यह धूल और गैस जब तारे बनने के लिए पर्याप्त नहीं होती है तो यह ग्रह बन जाते हैं. एक संभावना ये भी है कि सोलर सिस्टम से यदि कोई ग्रह बाहर निकल जाता है तो भी वह दुष्ट ग्रह बन जाता है.
ऐसे पता लगा दुष्ट ग्रहों के बारे में
Laboratoire d’Astrophysique de Bordeaux के खगोल विज्ञानी और फर्स्ट ऑथर नूरिया मिरेट रॉग ने बताया कि हमने आकाश के एक बड़े क्षेत्र में लाखों स्रोतों की छोटी गतियों, रंगों और चमकों को मापा, तब जाकर इन दुष्ट ग्रहों के बारे में पता चला है.
ये ग्रह अपर स्कॉर्पियस और ओफिचस नक्षत्रों के भीतर पाए गए हैं. यह रिसर्च नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में पब्लिश हुई है.
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