Gemstone : ज्योतिष शास्त्र में रत्न को विशेष महत्व दिया गया है. ये ग्रहों की अशुभता को दूर करने की तो ताकत रखते ही हैं, साथ ही साथ ग्रहों की शक्ति को भी बढ़ाने का काम करते हैं. कई बार लोग बिना जानकारी के ही इन रत्नों को धारण कर लेते हैं औैर बाद में हानि उठाते हैं. महत्वपूर्ण रत्नों को कौन धारण कर सकता है, आइए जानते हैं-
नीलम (Sapphire)- इसको अंग्रेजी में सैफायर कहते हैं. शुद्ध और पारदर्शी नीलम को धारण करने से युद्ध में सैनिक कैदी नहीं हो सकता है और युद्ध में सुलह हो जाने की पूर्ण संभावना बन जाती है. नीलम के बारे में प्रचलित है कि इसके धारणकर्ता की संपत्ति अगर खो जाए तो पुनः वापस अवश्य मिल जाती है. ताबीज के रूप में इसे गले में धारण करने से जादू टोने का कोई प्रभाव नहीं होता है.
शनि का रत्न है ‘नीलम’
नीलम शनि का रत्न माना गया है. ये तुला, मकर राशि वालों को लाभ प्रदान करता है. नीलम रत्न वृष लग्न या वृष राशि, तुला लग्न या तुला राशि, मकर लग्न या मकर राशि एवं कुंभ लग्न या कुंभ राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को शनिवार के दिन मध्यमा उंगली में चांदी या लोहा में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
पन्ना (Emerald)- इसे अंग्रेजी में इमराल्ड कहते हैं. यह बुद्ध का रत्न है. इसको धारण करने से बुद्धि प्रखर होती है. मिर्गी एवं पागलपन से बचाव करने के एवं नेत्रों में शीतलता प्राप्ति हेतु शुद्ध पन्ना धारण करना लाभप्रद रहता है. प्रसूता स्त्री को प्रसव के समय पन्ना धारण करने से लाभ होता है. पन्ना धारण करने से चर्म रोग दूर हो जाता है.
पन्ना रत्न सिंह लग्न या सिंह राशि एवं कन्या लग्न या कन्या राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को बुधवार के दिन कनिष्ठिका उंगली में सोना में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
हीरा (Diamond)- इसको अंग्रेजी में डायमंड कहते हैं. हीरा धारण करने से धन-धान्य, यश-कीर्ति एवं सुखों में वृद्धि होती है. हीरा के बारे में धारणा है कि कठोर होने के कारण प्रायः इसे तोड़ना दुष्कर होता है. हीरा धारण करने से युद्ध में रक्षा होती है. वहीं दूसरी ओर यह ज्वर के ताप को भी दूर कर देता है. शुक्र जनित रोगों अथवा नपुंसकता होने पर हीरा धारण करना अत्यंत लाभदायक होता है.
हीरा को कैसे पहचाना जाता है?
हीरा रत्न वृष लग्न या वृष राशि, तुला लग्न या तुला राशि, मकर लग्न या मकर राशि एवं कुंभ लग्न या कुंभ राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को शुक्रवार के दिन मध्यमा उंगली में प्लेटिनम सोना या चांदी में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
मोती (Pearl)- इसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं. यह श्वेत, चमकीले रंग का होता है. इसमें इंद्रधनुष के सात रंगों की झलक दिखती है. यह नक्षत्र राजा चंद्रमा का रत्न है. चंद्रमा के स्त्री ग्रह होने की वजह से इसे रानी कहा जाता है. इसे चांदी में धारण करने से मानसिक शांति और शीतलता प्राप्त होती है. इसको धारण करने से पदोन्नति जल्दी होती है. अनेक औषधियों में भी मोती का प्रयोग किया जाता है. पीले रंग का मोती लक्ष्मीवान, सफेद निर्मल मोती यशवान, नीले रंग का मोती भाग्यवान बनाता है.
मोती रत्न किसके लिए शुभ है?
मोती रत्न कर्क लग्न या कर्क राशि एवं वृश्चिक लग्न या वृश्चिक राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को सोमवार के दिन कनिष्ठिका उंगली में चांदी में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
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