नई दिल्ली. भारत में अब रोजाना लगभग पौने दो लाख कोरोना केस आ रहे हैं. हालांकि इन्हें लेकर कहा जा रहा है कि तेजी से बढ़ते मामलों के पीछे कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन है जो बहुत ज्यादा संक्रामक है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो ओमिक्रोन (Omicron) वेरिएंट अन्य पिछले रिपोर्टेड वेरिएंट्स के मुकाबले 70 प्रतिशत तेजी से फैलता है और एक समय बहुत सारे लोगों को संक्रमित कर सकता है. हवा में फैल चुके इस वायरस से बचाव के लिए मास्क (Mask) को सबसे अहम बताया जा रहा है. ऐसे में यहां यह भी सवाल उठता है कि क्या इतना संक्रामक वायरस सार्वजनिक जगहों को छूने से फैल सकता है? हवा में फैल चुके वायरस को रोकने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल कितना उपयोगी है ? ओमिक्रोन जैसे संक्रामक वायरस को रोकने के लिए कोरोना की शुरुआत में बताए गए नियम कितने उपयोगी हैं ?
इस बारे में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज स्थित मॉलीक्यूलर बायोलॉजी यूनिट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और जाने माने वायरोलोजिस्ट प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह कहते हैं कि कोरोना की शुरुआत में 2020 के समय जब कोविड के केस आना शुरु हुए और जानकारी जुटाई गई तो उस वक्त तक बताया गया कि कोरोना का ट्रांसमिशन ड्रॉपलेट के माध्यम से होता है लेकिन आज की तारीख में ड्रॉपलेट उनको कहते हैं जो हमारे खांसने और छींकने के दौरान मुंह से बड़ी बूंदें निकलती हैं और उनका साइज 5 माइक्रोन से ज्यादा होता है. हालांकि आज यह पूरी तरह प्रमाणित है कि कोरोना वायरस एक एयरोसॉलिक ऑर्गनिज्म है यानि यह एयरबोर्न इन्फेक्शन है जो हवा में फैल चुका है.
डॉ. सुनीत कहते हैं कि एयरबोर्न इन्फेक्शन में होता यह है कि हवा में वायरस मौजूद है और अगर कोरोना संक्रमितों से 7-8 मीटर दूर भी कोई स्वस्थ्य आदमी बैठा है तो भी संक्रमण हो सकता है. यानि कि अब हवा में सांस लेने से वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. अब ड्रॉपलेट की बात नहीं रही, अब एयरोसोल के माध्यम से संक्रमण हो रहा है. ऐसे में जब संक्रमण का तरीका बदला हुआ है तो यह सवाल है कि क्या कोरोना के सबसे पहले बताए गए नियम अभी भी कारगर हैं या उन्हें और कड़ा करने की जरूरत है. क्या सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के पुराने तरीके ठीक हैं?
क्या सार्वजनिक जगहों से फैल सकता है कोरोना
डॉ. सुनीत कहते हैं कि जहां तक कोरोना नियमों की बात है तो भले ही यह बात आज साबित हो चुकी है कि सार्स कोवि-2 का इन्फेक्शन हवा के माध्यम से हो रहा है और इसके लिए संक्रमण की बड़ी बूंदों से ज्यादा छोटी बूंदें ज्यादा जिम्मेदार हैं जो हवा में मौजूद हैं. ऐसे में सार्वजनिक जगहों से छूने की अब बात ही नहीं रही लेकिन फिर भी मान लीजिए कि कोई कोरोना संक्रमित खांस या छींक के कहीं सार्वजनिक जगह जैसे एटीएम, पार्क की रैलिंग, बाजार में कोई सामान या सार्वजनिक जगह पर हाथ लगा देता है और दुर्भाग्य से अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति भी वहां हाथ लगा देता है और फिर उस हाथ को अपने नाक या मुंह तक ले जाता है तो वह संक्रमित हो सकता है. ऐसे में यह फैल सकता है. सार्वजनिक जगहों से इसके फैलने की संभावना अभी भी बनी हुई है. लिहाजा अभी भी कोविड के पुराने नियमों को कठोरता से अपनाने की जरूरत है.
अब सेनिटाइजर की कितनी जरूरत ?
इसी तरह जब हवा से वायरस फैल रहा है तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना है या नहीं, यह भी सवाल पैदा होता है. हालांकि यहां भी इसी बात का ध्यान रखना है कि भले ही ये बीमारी एयरबोर्न है लेकिन इसके चलते किसी भी चीज को छू लेने, एहतियात का पालन न करने से इसके फैलने की संभावना कम नहीं होती बल्कि बढ़ती ही है. डॉ. सुनीत कहते हैं कि सैनिटाइजर का इस्तेमाल करके न केवल हम खुद को बल्कि हम परिवार के बाकी लोगों का बचाव कर सकते हैं. ऐसे में अभी भी अपना और अपनों को सुरक्षित रखने के लिए हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना बेहद जरूरी है. साथ ही हवा में फैले वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना भी जरूरी है.
हालांकि मास्क पहनते वक्त ध्यान देना जरूरी है कि मास्क सर्जिकल या एन 95 ही पहनें. वहीं ये मास्क चेहरे पर पूरी तरह फिट होने चाहिए ताकि वायरस के कहीं से भी घुसने की जगह न मिले. जहां तक कपड़े के मास्क की बात है तो उनका फैब्रिक इतना बेहतर नहीं है कि वे वायरस को रोक सकें. जो लोग मुंह पर कई लेयर का कपड़ा लपेट लेते हैं, यह भी वायरस का बचाव नहीं है. जहां तक कोरोना नियमों की बात है तो इनका अभी भी पालन किया जाना बेहद जरूरी है. कोविड अनुरूप व्यवहार अभी भी जरूरी है. जो नियम कोरोना की शुरुआत में अपनाए गए थे, वे सभी अभी भी प्रासंगिक हैं.
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