बातचीत के दौरान एक ट्विटर यूजर ने पूछा कि क्या दोनों एस्ट्रोनॉट को उनके सूट के टेंपरेचर में कोई फर्क महसूस हुआ। इसके जवाब में इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन के ट्विटर हैंडल से ऐसा जवाब दिया गया, जिसने सभी को हैरान कर दिया। जवाब में लिखा गया, स्पेसवॉकर हर 90 मिनट में सूर्योदय और सूर्यास्त का अनुभव करते हैं और यूजर पूछ रहे हैं कि क्या दोनों एस्ट्रोनॉट अपने सूट में तापमान में अंतर महसूस करते हैं।
इस अविश्वसनीय घटना के बारे में बात करते हुए नासा के एक विशेषज्ञ ने बताया कि इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस वजह से इतने कम समय में सूर्योदय और सूर्यास्त का अनुभव होता है। इसके साथ ही सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान तापमान में भी अंतर होता है। सूर्यास्त के दौरान निगेटिव 250 डिग्री और सूर्योदय के दौरान 250 डिग्री फॉरेनहाइट तक तापमान अंतर होता है। हालांकि स्पेससूट्स, इसका एस्ट्रोनॉट पर कोई असर नहीं पड़ने देते। उनमें सुरक्षा की तमाम लेयर्स होती हैं और ठंडा-गर्म रखने की खूबियां होती हैं, जिस वजह से एस्ट्रोनॉट्स सुरक्षित रहते हैं।
मिशन की एक और खूबी रही कि दोनों एस्ट्रोनॉट होशाइड और पेसक्वेस्ट एक सपोर्ट ब्रैकेट को इंस्टॉल करने के लिए स्पेसशिप से बाहर निकले थे, इसी के साथ उन्होंने अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। स्पेस में यह इस साल की 12वीं वॉक थी।
स्पेस में इंसान की चहलकदमी का एक पहलू यह भी है कि कमर्शल इस्तेमाल के लिए इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन को खोलने के नासा का हाल के कदमों से ऊर्जा की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है और इस नए डिवेलपमेंट की वजह से टीम अपने 8 मौजूदा बिजली चैनलों में से 6 को अपग्रेड करने पर फोकस कर रही है।
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