नई दिल्ली: अंतरिक्ष के रहस्यों को बाहर लाने में खगोलविज्ञानी बहुत ज्यादा भूमिका निभाते हैं. अभी हाल ही में हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स (CFA) के नेतृत्व में खगोलविदों की एक टीम ने एक ऐसा रहस्यमय बुलबुला खोजा है जो 1000 प्रकाश वर्ष की दूरी में फैला हुआ है.
इस बुलबुले की मौजूदगी से वैज्ञानिक हैरान
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, सालों से इस बुलबुले की मौजूदगी ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. स्थानीय बबल के नाम से जाने जाने वाले इस बुलबुले के अस्तित्व के पीछे एक मजबूत कारण अभी तक हमें नहीं पता था लेकिन अब हम जान सकते हैं कि यह बुलबुला क्यों मौजूद है.
कई सुपरनोवाओं ने किया इस बुलबुले का निर्माण
हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स (CFA) के नेतृत्व में खगोलविदों की एक टीम ने अब तक की सबसे उन्नत टेक्निक अपनाकर बहुत ही सटीकता के साथ लोकल बबल की मैपिंग की. टीम ने पाया कि लाखों साल पहले कई सुपरनोवाओं ने इस बुलबुले का निर्माण किया था. सुपरनोवा ही इस तरह के बुलबुले बना सकते हैं.
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इस तरह हुई बुलबुले बनने का शुरुआत
खगोलविदों ने पाया कि बुलबुले का इतिहास 14.4 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत तारों के बनने से हुई. तारों के बनने के बाद जब उनमें विस्फोट हुआ तो सुपरनोवा बने. विस्फोट की ऊर्जा ने तारों के बीच की सामग्री को दूर धकेल दिया और बुलबुले का निर्माण किया जिसके अंदर तापमान इसके बाहर की तुलना में अधिक था. बुलबुले के अंदर तारे के बीच की सामग्री का घनत्व बाहर की तुलना में कम होता है. खगोलविदों ने पाया कि बुलबुले के अंदर 15 सुपरनोवा थे.
स्थानीय बुलबुला अभी भी 6.7 किलोमीटर प्रति सेकंड की दर से बढ़ रहा है. जब हम अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं पर विचार करते हैं तो यह काफी धीमी गति होती है.
इस वजह से बुलबुले के बीच में है सोलर सिस्टम
लेकिन सोलर सिस्टम, लोकल बबल के ठीक बीच में क्यों है? जब पहला सुपरनोवा बना था तब सोलर सिस्टम उससे काफी दूर था लेकिन आकाशगंगा के चारों ओर सौर मंडल की यात्रा ने इसे संयोग से अब स्थानीय बुलबुले के बीच में ला दिया है.
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