रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एमेजॉन ने 67 मिलियन डॉलर (लगभग 510.9219 करोड़ रुपये) जीते हैं। कंपनी अपने कुइपर प्रोजेक्ट के तहत दूरदराज के इलाकों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट को पहुंचाने पर काम कर रही है। इसके लिए 3,000 से अधिक सैटेलाइट को तैयार किया गया है। वहीं, स्पेसएक्स की स्टारलिंक ने 70 मिलियन डॉलर (लगभग 533.85 करोड़ रुपये) हासिल किए हैं। स्टारलिंक के अंतरिक्ष में 2 हजार से ज्यादा सैटेलाइट हैं और वह भी इनके जरिए रिमोट एरिया में ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचाने पर काम कर रही है।
गौरतलब है कि नासा अपने ऑपरेशंस के लिए प्राइवेट स्पेस कंपनियों पर भरोसा कर रही है। वह आम आदमी को अंतरिक्ष में भेजकर इस क्षेत्र को व्यावसायिक रूप देना चाहती है।
नासा के कम्युनिकेशन सर्विसेज प्रोजेक्ट की प्रमुख एली नाफ्फा ने कहा कि हमारा लक्ष्य इंडस्ट्री को साथ लाने और कस्टमर्स के लिए इन क्षमताओं को विकसित करने का है। इससे हमारी लागत में भी कमी आएगी। कॉन्ट्रैक्ट के तहत हर कंपनी से यह उम्मीद है कि वह अपने सैटेलाइट का डेवलपमेंट और उसके प्रदर्शन का काम साल 2025 तक पूरा कर लेगी।
मौजूदा सिस्टम के तहत नासा, ट्रैकिंग एंड डेटा रिले सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल ऑर्बिट में मौजूद स्पेसक्राफ्ट से कम्युनिकेट करने के लिए करती है। माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में कम्युनिकेशन का यह तरीका बदलेगा। बहरहाल, एमेजॉन और स्पेसएक्स के अलावा जिन प्लेयर्स ने कॉन्ट्रैक्ट की रकम जीती है, उनमें इनमारसैट, एसईएस, टेलीसैट और वायासैट शामिल हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि अंतरिक्ष से ब्रॉडबैंड इंटरनेट देने के लिए स्पेसएक्स, एमेजॉन और टेलीसैट के बीच काफी कॉम्पिटिशन है। यह एक महंगी कमर्शल कोशिश है, जो पूरी तरह से शुरू होने के बाद अरबों डॉलर का रेवेन्यू जुटा सकती है।