प्रस्ताव में सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) को कानूनी दर्जा देने की भी मांग है। SJM के सह-संयोजक, अश्विनी महाजन ने बताया कि प्रस्ताव में सरकार से देश में किसी भी व्यक्ति की ओर से क्रिप्टोकरंसीज की खरीद, बिक्री, निवेश और किसी अन्य प्रकार की ट्रांजैक्शन पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि क्रिप्टोकरंसीज रखने वाले लोगों को इन्हें एक सीमित अवधि के अंदर बेचने या एक्सचेंज करने की अनुमति दी जा सकती है, जिसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी।
स्वदेशी जागरण मंच की मांग है कि बैन का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या एंटिटी पर वित्तीय जुर्माना लगाया जाए। प्रस्ताव में दलील दी गई है कि क्रिप्टोकरंसीज को मान्यता देने से सट्टेबाजी बढ़ सकती है और इसका फाइनेंशियल मार्केट पर खराब असर पड़ेगा। इससे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों के लिए फाइनेंसिंग जैसी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। प्रस्ताव के अनुसार, क्रिप्टोकरंसीज पर बैन लगाने के बाद उपभोक्ता मामलों और कंपनी मामलों के मंत्रालयों को एक उपभोक्ता जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को “कथित क्रिप्टोकरंसीज एक्सचेंजों” की ओर से दिए जा रहे “भ्रामक विज्ञापनों” के झांसे में न आने की सलाह देनी चाहिए।
प्रस्ताव में कहा गया है कि Bitcoin, Ethereum जैसी क्रिप्टोकरंसीज को एक एसेट या डिजिटल एसेट के तौर पर मान्यता नहीं देनी चाहिए क्योंकि ये अप्रत्यक्ष तौर पर करंसी जैसा एक्सचेंज का माध्यम बन जाएंगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से डिजिटल करंसी जारी करने से जुड़ा कानून जल्द बनना चाहिए। CBDC को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। इससे पहले भी देश में क्रिप्टोकरंसीज का विरोध किया जा चुका है। केंद्र सरकार का कहना है कि वह क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ा कानून लगाकर इस सेगमेंट को रेगुलेट करेगी। इससे जुड़ा विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जाना था लेकिन इसे टाल दिया गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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