जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की बेंच ने आरोपी को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया और गिरफ्तारी से उसकी अंतरिम सुरक्षा को सुनवाई की अगली तिथि तक बढ़ा दिया। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने भारद्वाज और अन्यों के खिलाफ दो एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया है। ED ने बताया है कि जांच में पता चला है कि मैसर्स वेरियाब्लेटेक प्राइवेट लिमिटेड, सिंगापुर और इसके डायरेक्टर्स अमित भारद्वाज और उसके भाई अजय भारद्वाज, विवेक भारद्वाज और उनके पिता ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने का एक आपराधिक षडयंत्र किया था।
आरोपियों ने यह दिखाया था कि उनकी फर्म क्रिप्टोकरंसी माइनिंग और ब्लॉकचेन से जुड़ी है और उसके पास चीन में एक माइनिंग फार्म है। उन्होंने बताया था कि फर्म बड़े वेंडर्स को बिटकॉइन में पेमेंट कर उनसे क्लाउड माइनिंग हैश पावर खरीदती है। ED ने बताया कि लोगों को यह कहा गया था कि वे फर्म के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर 18 महीनों के लिए क्लाउड माइनिंग स्पेस का एक छोटा हिस्सा खरीद सकते हैं और उन्हें इस अवधि के दौरान प्रति बिटकॉइन 10 प्रतिशत का रिटर्न मिलेगा।
इससे पहले भी क्रिप्टोकरंसीज से जुड़े धोखाधड़ी के कुछ मामले हो चुके हैं। इनमें बहुत से लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। हाल ही में महाराष्ट्र के नागपुर में40 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरंसी धोखाधड़ी का मामला हुआ था। इसमें दो हजार से अधिक निवेशकों को निशाना बनाया गया है। इसमें 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें मुख्य आरोपी, उसकी पत्नी और दो सहयोगी भी हैं। इन्हें पुणे के लोनावला से अरेस्ट किया गया था। विदेश में भी क्रिप्टोकरंसीज से जुड़े धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं।
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