नई दिल्ली : आंखों संबंधी कई बीमारियों के बारे में आपने पढ़ा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि सिगरेट पीने से आंखें भी खराब हो सकती हैं. हाल ही में आए एक नए शोध से पता चला है कि सिगरेट से तंबाकू आंखों के Corneal Cells को मारता है. आमतौर पर तंबाकू और सिगरेट के पैकेट पर दिल के दौरे, कैंसर और गर्भावस्था की जटिलताओं के बढ़ते जोखिमों के बारे में चेतावनी दिए जाते हैं. इनमें से कई जोखिम तंबाकू के धुएं के मुंह से सांस लेने से जुड़े हैं, लेकिन जिस बात पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता, वह है धूम्रपान का आंखों की सतह पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.
क्या कहती है रिसर्च
रिसर्च के मुताबिक, धूम्रपान का संबंध Macular Degeneration, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद से जुड़ा हुआ है, इसके अलावा दुनियाभर में अंधेपन और गंभीर आंखों की हानि के कुछ प्रमुख कारणों में से एक धूम्रपान में से हैं, लेकिन ये दर्द आंखों के भीतरी क्षेत्रों में होते हैं जैसे – रेटिना, Optic Nerve और लेंस. अब शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि सिगरेट के धुएं और तंबाकू गर्म होने से निकलने वाले एरोसोल से आंख की सबसे Exposed Layer कॉर्निया की कोशिकाओं को भी मारते हैं.
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क्या कहते हैं शोधकर्ता
जापान में गिफू फार्मास्युटिकल यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल शोधकर्ता वतारू ओत्सु का कहना है कि यह आंख की सबसे बाहरी सतह है, जो केमिकल, लाइट और इंफेक्शन जैसे पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में है. धूम्रपान न करने वालों के मुकाबले धूम्रपान करने वालों में ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित होने की आशंका दोगुनी होती है, जिसमें आंखों में सूखापन, लाली और खुजली होने लगती है. इस वजह से ठीक से दिखाई ना देना, इंफेक्शन होना या कॉर्नियल अल्सर भी होने का खतरा रहता है.
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ओत्सु का कहना है कि सिगरेट और तंबाकू डिवाइस गर्म होने और धुंआ छोड़ने के दौरान एरोसोल को जलाते हैं ये सब कुछ आंख से कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर होता है, इससे आंखों के टिश्यू बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं. 2006 में चूहों पर किए गए प्रयोगों से पता चला है कि सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से जानवरों के कॉर्निया और आंसू ग्रंथियों को नुकसान पहुंचता है. सितंबर में प्रकाशित वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक, ओत्सु और उनके सहयोगियों ने बताया कि सिगरेट के धुएं में मौजूद यौगिक कॉर्नियल टिश्यूज की एक महत्वपूर्ण बाहरी परत में कोशिकाओं को मारता है जिसे कॉर्नियल एपिथेलियम (corneal epithelium) कहा जाता है. यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब तंबाकू उत्पादों के यौगिक कॉर्नियल कोशिकाओं के साथ संपर्क बनाते हैं.