रॉयटर्स के मुताबिक, अपने लेटर में सुलिवन ने इस बात का उल्लेख किया कि इस तरह के ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल और मेंटनेंस बड़े पैमाने पर वॉलंटियर्स द्वारा किया जाता है और यह ‘एक प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता’ है। वाइट हाउस ने एक बयान में कहा है कि गुरुवार को होने वाली मीटिंग में ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर की सिक्योरिटी को बेहतर बनाने पर चर्चा की जाएगी। इस मीटिंग को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, ऐनी न्यूबर्गर होस्ट करेंगे।
बैठक में भाग लेने वाली अन्य टॉप टेक कंपनियों में IBM, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा भी शामिल हैं। मीटिंग में सरकार की एजेंसियां भी शामिल होंगी। इनमें डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस और कॉमर्स डिपार्टमेंट शामिल है।
पिछले साल कई बड़े साइबर हमलों के बाद बाइडेन प्रशासन के लिए साइबर सिक्योरिटी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। साइबर हमलों की वजह से कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के हजारों रिकॉर्ड उजागर हुए हैं। इनमें से एक हैक के बारे में अमेरिकी सरकार ने कहा है कि वह संभवतः रूस द्वारा गुप्त तरीके से अंजाम दिया गया था, जिसमें SolarWinds द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर में सेंध लगाई गई थी। सॉफ्टवेयर में सेंध लगाकर हैकर्स हजारों कंपनियों और उन सरकारी कार्यालयों तक पहुंच गए, जो SolarWinds के प्रोडक्ट्स इस्तेमाल कर रहे थे।
गौरतलब है कि साइबर सिक्योरिटी के बढ़ते खतरों के बीच गूगल (Google) ने एक साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप को खरीद लिया है। अल्फाबेट के स्वामित्व वाली गूगल ने बीते दिनों बताया था कि कंपनी की क्लाउड डिवीजन ने इजरायली साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप ‘सिम्प्लीफाई’ (Siemplify) का अधिग्रहण किया है। बढ़ते साइबर हमलों के बीच कंपनी ने अपनी सुरक्षा का विस्तार किया है। सिम्प्लीफाई, अमोस स्टर्न (Amos Stern) के नेतृत्व वाला स्टार्टअप है। इस डील की फाइनेंशियल डिटेल्स का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन मामले से जुड़े एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि Google ने सिम्प्लीफाई के लिए लगभग 500 मिलियन डॉलर (3,730 करोड़ रुपये) नकद भुगतान किया।
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