Saturday, January 22, 2022
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सकट चौथ: शुभ योग में बनी ये चतुर्थी करेगी सभी संकट दूर, जानें इससे जुड़ी सभी जरुरी बातें


Sakat Chauth to take away all pain
– फोटो : google

हिन्दू पंचांग अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ के रुप में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन व्रत का पालन किया जाता है. इसे संकष्टी चतुर्थी, लंबोदर चतुर्थी, तिलकुटा अथवा तिलकुट चतुर्थी आदि नामों से भी पुकारी जाती है. सकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन होता है और विधि विधान के साथ माघ चतुर्थी पूजा की जाती है. इस समय पर गणेश पूजन द्वारा सभी प्रकार के कष्ट समाप्त होते हैं तथा जीवन में सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं. माघ माह की ये चतुर्थी जीवन के सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति का आधार भी बनती है. इस दिन की जाने वाली पूजा अर्चना का प्रभाव कर्मों की शुद्धि करने वाली होती है तथा सभी तरह के कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाली होती है. 

सकट चौथ पर तिल दान महत्व

सकट चौथ अवसर पर आप के लिए भगवान श्री गणेश जी को तिल से बने खाद्य पदार्थ को प्रसाद रुप में उपयोग किया जाता है. तिल को इस दिन भगवान के भोग एवं दान से जुड़े कार्यों में शामिल किया जाता है. इस समय के दौरान सौभाग्य की वृद्धि के लिए भी तिल का दान बहुत अनुकूल माना जाता है. तिलों का भोग एवं दान सभी प्रकार के पापों को समाप्त करने वाला होता है. इस दिन गणेश जी को तिल से बने मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है. 

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सकट चौथ तिथि मुहूर्त समय

माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 21 जनवरी 08:51 पर होगा. चतुर्थी तिथि की समाप्ति 22 जनवरी 09:14 पर होगी. सौभाग्य, शोभन योग का निर्माण होने से यह शुभफल प्रदान करने वाली होगी. शुक्रवार 21 जनवरी को रात 9 बजे चंद्र उदय का समय होगा और इसी के साथ चंद्र पूजन द्वारा सकट चौथ के व्रत को संपन्न किया जाएगा. 

सकट चौथ अपने नाम अनुरुप सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाली और पापों के शमन की कारक है. इस चतुर्थी पर सभी प्रकार के रोग भी दूर हो जाते हैं. यह व्रत संतान के आयुष और सौभाग्य में वृद्धि करने वाला होता है. इस चत्रुथी के समय पर सौभाग्य योग*8 का निर्माण ओता है तथाचंद्र* पूजन करना उतम फलदायी माना गया है. इस पूजा के समय पर चंद्र देव का पूजन करने के साथ चंद्र देव को अर्घ्य प्रदान करना भी शुभ होता है. काम काज में आ रही किसी भी विपत्ति को यह व्रत आसानी से दूर कर देता है. काम के साथ साथ यह जीवन में होने वाले सुख एवं समृद्धि के लिए अत्यंत ही शुभफलदायी माना गया है.

गणेश पूजा में दुर्वा और तिल एवं मोदक को शामिल किया जाना शुभदायक होता है. यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला और सफलता प्राप्ति का अचूक उपाय भी होता है. 

 

 





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