Monday, January 31, 2022
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षटतिला एकादशी, तिलों के दान स्नान से मिलता है मुक्ति का मार्ग 


shatteela ekadashi
– फोटो : google

षटतिला एकादशी, तिलों के दान स्नान से मिलता है मुक्ति का मार्ग 

षटतिला एकादशी माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकदशी के दिन मनाई जाती है. षटतिला एकादशी 28 जनवरी 2022 को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. षटतिला एकादशी के दिन श्री विष्णु पूजा करने और उपवास रखने के लिए समर्पित है. सभी दुखों और दुर्भाग्य को समाप्त करने हेत्य यह एकादशी अत्यंत ही उत्तम फलप्रद मानी जाती है. षटतिला एकादशी को माघ कृष्ण एकादशी, तिल एकादशी या सत्तिला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.  यह ‘शत’ शब्द से बना है जिसका अर्थ ‘छः’ और ‘तिल’ का अर्थ तिल होता है. इस दिन तिल का प्रयोग छह प्रकार से किया जाता है. इस दिन तिल का प्रयोग बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह धार्मिक गुण और आध्यात्मिक शुद्धि दोनों प्रदान करता है. इस दिन गरीबों लोगों को तिल दान करने का बहुत बड़ा प्रभाव होता है. षटतिला एकादशी के दिन पितरों को तिल और जल चढ़ाने का भी रिवाज है. इस एकादशी में किसी व्यक्ति के जीवन भर किए गए सभी बुरे कामों या पापों को धोने की भी सर्वोच्चता है.

षटतिला एकादशी पूजा अनुष्ठान

षटतिला एकादशी के दिन तिल के जल से स्नान करने का बहुत महत्व माना गया है. इस एकादशी पर ‘तिल’ का भी सेवन करते हैं. इस दिन एकादशी पूजन में सात्विकता को प्रमुख स्थान दिया जाता है. लोभ, काम और क्रोध जैसे विचारों को स्वयं पर हावी नहीं होने देना चाहिए.

भक्त इस एकादशी पर उपवास रखते हैं और दिन भर खाने-पीने से परहेज किया जाता है. हालांकि, यदि पूर्ण उपवास रखने में असमर्थ हैं, तो आंशिक उपवास को भी किया जाता है. एकादशी के दिन अनाज, चावल और दाल जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों का सेवन निषेध माना गया है. 

षट टीला एकादशी के मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं. भगवान की मूर्ति को पंचामृत में स्नान कराया जाता है, जिसमें तिल अवश्य मिलाना चाहिए. बाद में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं. एकादशी पर, भक्त पूरी रात जागरण भजन करते हैं. भगवान विष्णु के नाम का जप अत्यंत भक्ति और दृढ़ता के साथ करते हैं. कुछ स्थानों पर, इस दिन पर यज्ञ का आयोजन भी करते हैं जिसमें तिल द्वारा पूजन संपन्न होता है. 

षटतिला एकादशी  शुभ मुहूर्त समय

एकादशी तिथि 28 जनवरी, 2022 2:16 से शुरू

एकादशी तिथि 28 जनवरी, 2022 रात 11:36 बजे समाप्त होगी

हरि वासरा समाप्ति क्षण 29 जनवरी, 2022 4:51

पारण का समय 29 जनवरी, 7:11 पूर्वाह्न – 29 जनवरी, 9:23 पूर्वाह्न

षटतिला एकादशी का महत्व:

षटतिला एकादशी के विषय में भविष्योत्तर पुराण में पुलस्त्य मुनि और ऋषि दलभ्या के बीच बातचीत के रूप में वर्णन प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि षटतिला एकादशी का पालन करने वाले व्यक्ति को अनंत धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. हिंदू किंवदंतियों के अनुसार एकादशी पूजन मोक्ष प्राप्त करने तथा  पुनर्जन्म के निरंतर चक्र से मुक्ति प्राप्त करने का उत्तम साधन है. षटतिला एकादशी पर तिल या तिल का दान करने से वर्तमान या पिछले जन्म में जाने-अनजाने किए गए सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है. 

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