- कर्मफल दाता और आयु प्रदाता शनि देव अस्त होने जा रहे हैं।
- 22 जनवरी से 24 फरवरी तक रहेंगे अस्त।
- होगा 5 राशिओ के लिए बेहद दुखदाई।
जीवन पर असर
यदि किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह सूर्य ग्रह के समीप जाकर अस्त होता है तो वह बलहीन हो जाता है। किसी भी ग्रह के अस्त होने पर उनका प्रभाव उनका बल उनकी सभी शक्ति क्षीण हो जाती है फिर चाहे वह किसी मूल त्रिकोण या उच्च राशि में ही क्यों न हों वह अच्छे परिणाम देने में असमर्थ हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार एक अस्त ग्रह एक बलहीन व अस्वस्थ राजा के सामान होता है। कोई भी अस्त ग्रह अपने साथ-साथ जिस भाव में वह उपस्थित है उसके भी फलों में विलम्ब उत्पन्न करता है।
अस्त ग्रह दुष्फल तो देते ही हैं लेकिन त्रिक भावों में उनके अशुभ फलों की अधिकता और भी बढ़ जाती है। अस्त ग्रह किसी नीच की राशि, दूषित स्थान, शत्रु राशि या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो उसका परिणाम और भी हानिकारक हो जाता है। इसलिए किसी भी कुंडली के विश्लेषण में अस्त ग्रह का विश्लेषण कर लेना आवश्यक होता है।
कुंडली में शनि देव के अस्त होने का फल
शनि ग्रह कर्म फल दाता माने जाते हैं। यदि कुंडली में शनि देव अस्त अवस्था में हों तो जातक को अपने कर्म में समस्याएं आती हैं। वह जहां नौकरी या व्यापार करता है, वहां परेशानी उठानी पड़ती है। वरिष्ठ अधिकारियों या समाज के गणमान्य लोगों से तालमेल नहीं बैठ पाता और उनसे अनबन हो जाती है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी आती है और कई बार व्यक्ति नशीली वस्तुओं के सेवन में लग जाता है।
- व्यक्ति को पैरों में दर्द, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द तथा स्नायु तंत्र के रोग परेशान कर सकते हैं।
- यदि ऐसा शनि छठे भाव के स्वामी के साथ संबंध बनाए तो रीढ़ की हड्डी में समस्या दे सकता है या फिर जोड़ों के दर्द भी हो सकते हैं।
यदि शनि का प्रभाव अष्टम के स्वामी के साथ हो जाए या फिर अष्टम भाव से हो जाए तो व्यक्ति का रोजगार भी जा सकता है और द्वादश भाव से ऐसे शनि का संबंध होने पर व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है और उसको मानसिक अशांति घेर लेती है। उसे अपने जीवन में सफलता पाने के लिए अत्यंत ही कठोर श्रम करना पड़ता है और कई बार नीच प्रवृत्ति के लोगों के साथ उसकी संगति हो जाती है, जो बाद में उसके लिए दुखदायी साबित होती है।
शनि का अस्त, देगा इन ५ राशिओ को तकलीफ
ज्योतिष शाश्त्र में सूर्य और शनि का सम्बंध पिता पुत्र का है। परन्तु कुछ कारण से इनके सम्बन्ध में मनमुटाव है। माना जाता है यदि अस्त होने वाला ग्रह सूर्य देव का शत्रु है तो वह और भी अधिक अशुभ हो जाता है और अधिक समस्याएं देने लगता है। जानते है वे कोनसी ५ राशीया है जिन्हे संभल कर रहना होगा।
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