Thursday, February 17, 2022
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वैज्ञानिकों से हो गई ‘गलती’, चंद्रमा से SpaceX का रॉकेट नहीं, चीन का बनाया रॉकेट टकराएगा


गलतियां सभी से होती हैं। वैज्ञानिकों से भी। एस्‍ट्रोनॉमी विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले महीने उन्‍होंने एक रहस्‍य को समझने में गलती की। यह गलती उस रॉकेट को लेकर हुई है, जो अगले महीने 4 मार्च को चंद्रमा की सतह से टकराएगा। पहले कहा गया था कि चंद्रमा में दुर्घटनाग्रस्त होने वाला रॉकेट SpaceX द्वारा बनाया गया था। अब पता चला है कि यह रॉकेट चीन ने बनाया है। यह रॉकेट 4 मार्च को चंद्रमा की सतह से टकराएगा। पहले कहा गया था कि वह SpaceX का फाल्‍कन-रॉकेट है। यह दावा एस्‍ट्रोनॉमर बिल ग्रे ने किया था। अब उन्‍होंने ही बताया है कि यह रॉकेट SpaceX का नहीं है। इसे चीन द्वारा बनाया गया था। 

रॉकेट का नाम 2014-065B है, जो साल 2014 में लॉन्‍च किए गए चीनी मून मिशन ‘Chang’e 5-T1′ का एक बूस्‍टर था। इस बारे में एस्‍ट्रोनॉमर जोनाथन मैकडॉवेल ने भी ट्वीट किया है। स्‍पेस में फैले कचरे को रेगुलेट करने की मांग के साथ वह अपना पक्ष रखते रहे हैं। जोनाथन ने कहा है कि अंतरिक्ष में चीजों की बेहतर ट्रैकिंग की कमी की वजह से यह समस्या है। खगोलविदों का कहना है कि उन्‍हें ऑर्बिट में कुछ अजीब चीजों पर ध्‍यान देना चाहिए था। वहीं, नासा ने जनवरी के आखिर में कहा था कि वह इस चीज के विस्फोट से बनने वाले गड्ढे को ऑब्‍जर्व करने की कोशिश करेगी। 

बात करें, चंद्रमा पर गए चीन के Chang’e 5 लुनर लैंडर की, तो इसने वहां पानी से जुड़े अहम सबूत की खोज की है। इस लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर पानी से जुड़ा पहला ऑन-साइट सबूत पाया है। यह बताता है कि आखिर पानी की मौजूदगी के बाद भी चंद्रमा सूखा क्‍यों है। पीयर-रिव्यू जर्नल साइंस एडवांस में पिछले महीने पब्‍लिश हुई स्‍टडी से पता चला है कि चंद्रमा की लैंडिंग साइट पर मौजूद मिट्टी में 120 भाग-प्रति-मिलियन (ppm) पानी है। यानी एक टन मिट्टी में 120 ग्राम पानी है। हल्की और वेसिकुलर चट्टान में यहां पानी की मात्रा 180ppm है। यह पृथ्‍वी की तुलना में बहुत कम है। इस वजह से चंद्रमा अधिक शुष्क है।

इससे पहले रिमोट ऑब्जर्वेशन के जरिए चंद्रमा में पानी की मौजूदगी की पुष्टि हो गई थी, लेकिन अब जाकर लैंडर ने वहां की चट्टानों और मिट्टी में पानी के लक्षण पाए हैं। लुनर लैंडर पर सवार एक डिवाइस ने रेजोलिथ (regolith) और चट्टान के स्पेक्ट्रल परावर्तन को मापा और पहली बार मौके पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया। 
 

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