लेकिन यह ग्रह अजीब आकार का क्यों है? खगोलविदों का कहना है कि WASP-103b एक F-प्रकार के तारे के चारों ओर स्थित है। यह तारा हमारे सूर्य से बड़ा है। यह ग्रह भी बड़ा है। बृहस्पति से भी डेढ़ गुना है। ग्रह अपने तारे के नजदीक होने की वजह से आलू के आकार का है।
एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि WASP-103b अपने घरेलू तारे से सिर्फ 20,000 मील की दूरी पर स्थित है। इसकी तुलना में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 93 मिलियन मील है।
पृथ्वी को सूर्य और सौर मंडल के अन्य ग्रहों की परिक्रमा करने में एक साल का समय लगता है। इसके मुकाबले कुछ एक्सोप्लैनेट हैं, जिन्हें ‘हॉट जुपिटर’ के रूप में जाना जाता है। यह कुछ दिनों और घंटों में अपने सूर्य की परिक्रमा कर लेते हैं। WASP-103b भी सिर्फ 22 घंटे में अपने सूर्य की परिक्रमा कर लेता है।
रिसर्चर्स ने WASP-103b का पता लगाने के लिए यूरोपीय स्पेस एजेंसी के CHEOPS सैटेलाइट का इस्तेमाल किया। ग्रह के आकार के बारे में निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए नासा के हबल और स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप से मिले डेटा पर भरोसा किया।
गौरतलब है कि पृथ्वी के अलावा बाकी ग्रहों पर जीवन की संभावना ने लंबे समय से वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। तमाम रहस्यों को सामने लाने के लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक कई मिशन शुरू किए हैं। शुक्र ग्रह ने भी वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। शुक्र का वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड से भरा हुआ है। इसकी सतह इतनी गर्म है कि सीसा lead भी पिघल जाएगा। यह साबित करता है कि इस ग्रह पर जिंदगी का बच पाना नामुमकिन है।