हमारे जहन में कुछ बातें याद रह जाती हैं, जबकि कुछ भूला दी जाती है, ये सब कैसे होता है, ये अभी तक रहस्य बना हुआ है. लेकिन अब अमेरिका के सीडर-सिनाई मेडिकल सेंटर (Cedars-Sinai Medical Center) के रिसर्चर्स ने दो तरह के ऐसे ह्यूमन ब्रेन सेल्स की खोज की है, जो हमें यादें बनाने में शारीरिक रूप से मदद करते हैं. ये सेल्स निरंतर सचेत अनुभव को अलग-अलग खंडों में विभाजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिन्हें भविष्य में याद किया जा सकता है. ये रिसर्च डिमेंशिया और अल्जाइमर (Dementia and Alzheimer’s) जैसी बीमारियों के इलाज का नया रास्ता खोल सकती है. इस स्टडी का निष्कर्ष नेचर न्यूरोसाइंस (Nature Neuroscience) जर्नल में प्रकाशित किया या है.
इस स्टडी के सीनियर राइटर उली रुतिशौसर (Ueli Rutishauser) का कहना है कि अगर हम मेमोरी से जुड़ी विकृतियों का इलाज नहीं ढूंढ पा रहे हैं या उन मरीजों की कोई खास मदद नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हम याद या मेमोरी बनाने के प्रॉसेस को नहीं समझ रहे हैं. रुतिशौसर और उनकी टीम ने ड्रग-रिसेस्टेंट यानी दवा प्रतिरोधी मिर्गी रोगियों (drug-resistant epilepsy patients) पर ये स्टडी की कि मेमोरी बनने के प्रॉसेस में न्यूरॉन्स किस प्रकार से काम करते हैं.
कैसे हुई स्टडी
स्टडी में शामिल मरीजों के ब्रेन में सर्जरी के द्वारा इलेक्ट्रोड (electrode) स्थापित किए गए, ताकि ब्रेन में मिर्गी के दौरे को चिन्हित करने में मदद मिले. इसके बाद मरीजों को फिल्म की क्लिपिंग्स दिखाने के दौरान अलग-अलग न्यूरॉन की एक्टिविटियों को रिकॉर्ड किया. इसमें कॉग्निटिव बाउंड्री यानी संज्ञानात्मक सीमा को भी शामिल किया गया. संज्ञानात्मक सीमा से मतलब माइंड की सोचने-समझने की सीमा से है. हालांकि, ये संज्ञानात्मक बाउंड्री डेली लाइफ में सूक्ष्म थीं, इसलिए रिसर्चर्स ने हार्ट और सॉफ्ट बाउंड्री पर फोकस किया.
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सॉफ्ट बाउंड्री को इस रूप में समझा जा सकता है कि दो लोग टहलते हुए बातें कर रहे हैं और अगले सीन में एक तीसरा शख्स उनके साथ हो जाता है, लेकिन स्थिति या कहानी कुल मिलाकर वही रहती है. लेकिन, हार्ड बाउंड्री के केस में दूसरा सीन बिल्कुल बदल जाता है और कार पर सवार लोग, उसमें शामिल हो जाते हैं. हार्ड और सॉफ्ट बाउंड्री में अंतर चल रही कहानी से विचलन के रूप में थी.
स्टडी में क्या निकला
प्रतिभागी जब फिल्म देख रहे थे, तभी रिसर्चर्स ने ब्रेन के कुछ खास न्यूरॉन की एक्टिविटी नोट कीं, जिन्हें बाउंड्री सेल्स (Boundary Cells) का नाम दिया गया. हार्ड और सॉफ्ट दोनों बाउंड्री में इनकी एक्टिविटी बढ़ी हुई पाई गई. एक अन्य ग्रुप के सेल्स, जिन्हें इवेंट सेल्स का नाम दिया गया, उनमें पाया गया कि इनकी एक्टिविटी तभी तेज होती है, जब हार्ट बाउंड्री होती है. सॉफ्ट बाउंड्री के मामले में वैसा नहीं होता है. रिसर्चर्स ने इसके आधार पर सिद्धांत प्रतिपादित किया कि बाउंड्री और इवेंट सेल्स की एक्टिविटी हार्ड बाउंड्री के मामले में चरम पर होती हैं और दोनों ही ब्रेन को सिग्नल भेजते हैं, जिससे नई मैमोरी बननी शुरू होती है. ये बाउंड्री रिस्पॉन्स एक तरह से कंप्यूटर में नया फोल्डर बनाने जैसा है. इसे एक फाइल के रूप में रखते हैं और जब अन्य बाउंड्री आती है तो आप पहली फाइल को बंद कर एक नई फाइल खोल लेते हैं.
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जब आप कुछ याद करने की कोशिश करते हैं, तो ब्रेन सेल्स उत्तेजित होते हैं. ऐसे में मेमोरी सिस्टम पहले की घटनाओं की तुलना में चरम गतिविधियों की तुलना करता है. अगर वो पहले से मिलता-जुलता होता है तो फोल्डर को तुरंत खोल देता है और आपकी याद्दाश्त उन घटनाओं को लेकर ताजा हो जाती है.
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