Varuthini Ekadashi 2022 : वरूथिनी एकादशी का व्रत विशेष माना गया है. ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. एकादशी व्रत में पारण का भी विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि यदि इस व्रत का पारण सही समय और पूर्ण विधि से न किया जाए तो एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है.
वरूथिनी एकादशी कब है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह में कृष्ण पक्ष के दौरान वरूथिनी एकादशी पड़ती है. एकादशी का व्रत एक ऐसा व्रत है जिसमें नियम और विधि का बहुत महत्व है. इसलिए इसकी जानकरी बहुत जरुरी है. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाना चाहिए. पारण का अर्थ व्रत का समापन होता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरुरी है. इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है.
व्रत का पारण हरि वासर पर न करें
हरि वासर का ध्यान रखें एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के समय नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है. एकादशी का व्रत रखने वालों को व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है.
व्रत समाप्त करने का समय एकादशी व्रत को समाप्त करने का भी विधान होता है. एकादशी का व्रत जब भी खोलें तो इसके लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना गया है. प्रात:काल में व्रत समाप्त करना अच्छा रहता है. मध्याह्न के दौरान व्रत न खोलें. प्रात:काल यदि व्रत नहीं खोल पाएं हैं तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.
वरूथिनी एकादशी पारण शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार पारण का समय- 27 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 41 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 22 मिनट के बीच होगा. इस दिन का शुभ समय दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से शुरु होकर दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.
‘सूर्य ग्रहण‘ 5 दिन बाद लगने जा रहा है , 15 मई तक इन राशि वालों को धन, जुबान और वाहन प्रयोग पर देना होगा ध्यान
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.