प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में कहा, “सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरेंसी जैसी उभरती टेक्नॉलजीस के लिए हमें संयुक्त रूप से वैश्विक मानदंडों को आकार देना चाहिए, ताकि उनका इस्तेमाल लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए किया जा सके, न कि कमजोर करने के लिए।”
भारत में अनुमानित रूप से 15 मिलियन से 20 मिलियन क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर्स हैं। इंडस्ट्री का अनुमान है कि इनकी
कुल क्रिप्टो होल्डिंग्स लगभग 40,000 करोड़ रुपये है। हालांकि सरकार इसको लेकर कोई आधिकारिक डेटा नहीं देती है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। सुब्बाराव ने कहा कि अगर क्रिप्टोकरेंसीज को वैध किया जाता है, तो ये देश में मुद्रा आपूर्ति और मुद्रास्फीति प्रबंधन पर रिजर्व बैंक के कंट्रोल को छीन सकती हैं। इस सप्ताह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने अपना आकलन शेयर किया था।
बीते महीने केंद्र सरकार की उस तैयारी का भी पता चला था, जिसमें वह देश में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के संचालन पर बैन लगाने की योजना बना रही है। इससे जुड़े एक बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए लिस्ट किया गया है।
शीतकालीन सत्र के पहले दिन क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई सवालों के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बता चुकी हैं कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जिसमें बिटकॉइन को देश में करेंसी का दर्जा दिए जाने की बात है। सरकार से यह भी पूछा गया था कि क्या देश में क्रिप्टो ट्रेडिंग वैध है और क्या क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को कानूनी अनुमति मिली है?
वित्त मंत्री की ओर से सदन में इसका लिखित जवाब देते हुए इनकार किया गया। जवाब दिया गया कि ऐसा नहीं है। सरकार से यह भी पूछा गया कि क्या वह देश में हो रहे बिटकॉइन ट्रांजैक्शन का डेटा कलेक्ट करती है? इसपर भी वित्त मंत्री ने नहीं में जवाब दिया और बताया कि सरकार बिटकॉइन ट्रांजैक्शन का कोई डेटा इकट्ठा नहीं करती।