टी20 क्रिकेट में शायद राशिद खान से बड़ा मैच-विनर या फिर धुरंधर गेंदबाज नहीं है. अफगानिस्तान के इस चैंपियन गेंदबाज से हमने ताबड़तोड़ अंदाज में ढेर सारे सवाल किए. गुजरात टाइटंस की मीडिया टीम ने भी हमारा भरपूर सहयोग दिया. हमारा पहला सवाल था कि बहुत कम ऐसा होता है कि किसी खिलाड़ी की पहचान उसके मुल्क से बड़ी हो जाती है. आपके साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है?
इस पर राशिद का जवाब था- ‘सच कहूं तो कई बार इस बात पर यकीन नहीं होता है. क्रिकेट में जिस तरह की यात्रा अब तक की मेरी रही है वो सच है या सपना. कुछ साल पहले तक तो मेरा मुल्क ही गिनती के कुछ मैच खेलता था लेकिन आज हमारे लड़के दुनिया की सभी लीग में खेल रहे हैं.’
ये बात तो किसी से छिपी नहीं है राशिद और अफगानिस्तान क्रिकेट के लिए पिछले कुछ साल में काफी कुछ बदल गया है. इस मुद्दे पर राशिद कहते हैं- ‘काफी कुछ बदला है. और मुझे इस बात की खुशी है कि इस बदलाव में मैंने भी अपना किरदार निभाया है.’ और इस बदलाव में आईपीएल की कैसी भूमिका रही है? इस पर राशिद कहते हैं, ‘मैं पिछले आधे दशक से आईपीएल का हिस्सा हूं. मुझे ऐसा लगता है कि मैंने अपने खेल से अपने देशवासियों का मान बढ़ाया है.’
ऐसे में आप ये सोच रहे होंगे 2022 के आईपीएल में राशिद का क्या इरादा है क्योंकि अब तो वो नई टीम गुजरात टाइंट्स के लिए खेल रहे हैं तो उनका जवाब भी दिलचस्प रहा. ‘नया तो कुछ नहीं. बस जो अभी तक करता आ रहा हूं उसी को बरकरार रखने का इरादा है. मैं अपनी क्रिकेट का मजा उठा रहा हूं और खुद को बेहद किस्मत वाला मानता हूं कि मुझे ऐसे मौके मिले हैं.’
राशिद खान तो पिछले कई सालों से सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) की पहचान थे. जब तक उनके 4 ओवर रहते थे तो कोई टीम जीतने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी. गुजरात के लिए भी उनकी भूमिका शायद कुछ ऐसी ही कैसी रहेगी? ‘मेरा प्लान वही रहेगा. मेरा खेल, मेरी तैयारी और प्रकिया में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगी. मेरी क्रिकेट नहीं बदलेगी, ‘ऐसी सोच है अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान की. लेकिन, गुजरात तो एक नई टीम है? और कई बार नई टीमों के साथ काफी कुछ भी बदलता है. लेकिन राशिद के लिए ये बातें बहुत मायने नहीं रखती है. ‘मेरा माइंडसेट वही रहेगा. मेरी पूरी कोशिश यही होगी कि मैं उतना ही प्रभावशाली बना रहूं जैसा कि पिछले कई सालों से इस टूर्नामेंट में बना रहा हूं.’
जानकारों का ऐसा भी मानना होता है नई टीम के साथ कई बार एक नई सोच और नई रणनीति भी तो आती है. ‘Gujarat titans भले ही एक नई टीम है और मेरी जर्सी बदल गयी हो, मेरा कप्तान बदल गया है , लेकिन इससे क्रिकेट तो नहीं बदलेगी. जो कुछ भी मुझे आता है, मैं अपना सर्वश्रैष्ठ खेल दिखाने की कोशिश करुंगा. गुजरात एक नई और अलग टीम है लेकिन मैं बातों को सामान्य रखते हुए खेल का लुत्फ उठाने की कोशिश में जुटा रहूंगा. “ ऐसा कहते हुए राशिद की बातों में आपको उनके लाजवाब आत्म-विश्वास की झलक भी मिलती है.
बहरहाल, कई बार आपको इस बात पर हैरानी हो सकती है कि एक दौर में YouTube पर वीडियो देखकर क्रिकेट को सीखने वाला कोई गेंदबाज़ इतना कामयाब भी हो सकता है. लेकिन, राशिद ने इस परीकथा को जीया है. “जैसा कि मैंने पहले ही कहा है ये सब तो बिल्कुल सपने जैसा है जिस पर यकीन करना मुश्किल है. अगर 5 साल पहले किसी ने मुझे ये कहा होता कि मैं आज इस मुकाम पर खड़ा हो सकता हूं तो मैं उस बात को सिर्फ सपना ही मानता.’
किसी भी लेखक या पत्रकार के लिए राशिद की अब तक इस अद्भुत यात्रा को महज शब्दों में बयां करना आसान नहीं है. खासतौर पर ऐसे खिलाड़ी के जीवन में आईपीएल के अहम योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता है. ‘अद्भुत ही है यात्रा. अगर आपके पास प्रतिभा और हुनर है तो आपको मेहनत भी करनी पड़ेगी. जब मैं 2017 में पहली बार आईपीएल खेलने आया तो मुझे इस टूर्नामेंट से ज़बरदस्त एक्सपोज़र मिला. मुझे टीमों से दूसरे खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखने को मिला. ख़ासतौर पर फिटनेस के मामले में मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अगर लंबा खेलना है तो फिट रहना काफी अहम है.’ ऐसा मानना है राशिद का जो अब तक दुनिया में दो दर्जन से भी ज़्यादा टीमों के लिए टी20 क्रिकेट खेल चुके हैं.
इसके अलावा भी ढेर सारी बातें ऐसी हैं जो आईपीएल इन्हें सिखाई हैं. ‘जिस पहलू में मैं कमज़ोर था, मैंने उसको बेहतरीन करने की बात सीखी. कामयाबी के मामले में भले ही मैं एक स्तर तक पहुंच गया हूं लेकिन इस कामयाबी को आगे भी बरकरार रखना मेरा इरादा है. मैंने खेल में निरंतरता रखने की अहमियत को भी समझा है.’
आमतौर पर क्रिकेट में ऐसा कहते हैं कि लेग स्पिनर के लिए कप्तान का साथ होना बहुत जरूरी होता है. राशिद ने उन मान्यताओं का तोड़ा है और वो बेहद कामयाब भी रहे हैं. ऐसे में जब उनसे ये कहा गया कि शुरू से ही उन्हें क्या किसी कप्तान के सपोर्ट या नहीं सपोर्ट मिलने से फर्क पड़ा? उनका जवाब भी शानदार रहा- ‘ईमानदारी से कहूं तो हर गेंदबाज़ का माइंडसेट ऐसा ही होना चाहिए. गेंदबाज़ों को अपनी काबिलियत पर भरोसा होना चाहिए. कप्तान का भरोसा भी आपको चाहिए लेकिन वो तब जब आप मुश्किल दौर से गुजर रहे हों. आमतौर पर हर गेंदबाज के पास अपनी एक निजी योजना होनी चाहिए. प्लान ए और बी होना चाहिए. अगर वो नाकाम होता है तो आपको अपने कप्तान के पास जाना चाहिए कि उनके पास किस तरह के विकल्प हैं.’
राशिद खान की बातों के कहने का मतलब है कि हर गेंदबाज़ को अपनी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए? “बिलकुल. आपको कंफ्यूज़ नहीं होना चाहिए. मैंने हमेशा माना है कि एक गेंदबाज़ के तौर पर आपको हर ओवर में अपनी 6 गेंदों की जिम्मेदारी लेनी ही चाहिए.’ गुजरात के लेग स्पिनर कप्तान और गेंदबाज के बीच एक दिलचस्प समीकरण की बात कर रहे हैं. वे कहते हैं- ‘देखिये, अगर कप्तान ने आपको कोई फील्ड दी हो और आप खुश नहीं तो आपको उन्हें बताना होगा. जहां तक मेरा सवाल है, पहले मैं खुद की योजना लागू करना चाहता हूं. आपके पास गेंदबाज के तौर ऐसा आत्मविश्वास होना जरूरी है. कप्तान के साथ बिना हिचक के बात करना जरूरी होता है.’
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