गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान नागरिकों को हो रहा है। यूक्रेन के शहरों पर गिर रहीं मिसाइलों, सड़कों पर दौड़ते टैंकों और भीषण गोलाबारी के चपेट में आने की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। रिपोर्टों के मुताबिक, 4 लाख से ज्यादा यूक्रेन के नागरिकों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यूक्रेनी लोग अपनी जान बचाने के लिए बॉर्डरों की तरफ रुख कर रहे हैं।
रॉयटर्स के मुताबिक, गूगल समेत तमाम बड़ी टेक कंपनियों ने कहा है कि वो इस क्षेत्र में यूजर्स की सुरक्षा के लिए नए उपाय कर रही हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि ऑनलाइन सर्विसेज और सोशल मीडिया साइटों के जरिए भी युद्ध में टारगेट्स का पता लगाया जा रहा है।
कैलिफोर्निया के मिडिलबरी इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एक प्रोफेसर ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति के हमले की घोषणा करने से पहले गूगल मैप्स ने उन्हें ‘ट्रैफिक जाम’ को ट्रैक करने में मदद की। लोगों के बॉर्डरों की ओर रुख करने की वजह से यूक्रेन में बीते दिनों लंबा ट्रैफिक जाम देखने को मिला था। वहीं, गूगल ने कहा है कि ड्राइवर्स के लिए लाइव ट्रैफिक इन्फर्मेशन की सुविधा अब भी उपलब्ध है, जिसे वह टर्न-बाई-टर्न फीचर्स के जरिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग कई मोर्चों पर चल रही है। हथियारों के साथ-साथ साइबर हमले के तौर पर भी यह जंग जारी है। यूक्रेन पर हाल के दिनों में कई साइबर हमले हुए हैं, जिसमें देश के रक्षा मंत्रालय, सेना और बैंकों से जुड़ी वेबसाइटों को निशाना बनाया गया है। यूक्रेन इसके पीछे रूस का हाथ होने की बात कह रहा है। आरोप है कि ऐसे मैलवेयर से सिस्टम को टारगेट किया जा रहा है, जो सिस्टम से पूरा डेटा मिटा देते हैं।
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