अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एनी नियूबर्गर ने व्हाउट हाउस में पत्रकारों को बताया कि अमेरिका रूस को साइबर क्षेत्र में आक्रामक गतिविधियां करने से रोकना चाहता था। उन्हें लगता है कि यूक्रेन की बैंकों पर साइबर अटैक के लिए रूस की सरकार जिम्मेदार है। अमेरिकियों के पास रूस की मिलिट्री एजेंसी से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर का डेटा है जिसे सामान्य तौर पर GRU के नाम से जाना जाता है। इसे बड़े पैमाने पर यूक्रेन आधारित आईपी एड्रेस और डोमेन पर कम्यूनिकेट करते हुए पाया गया है।
इसी तरह की एक घोषणा में ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा कि GRU को डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस के लिए जिम्मेदार पाया गया है जो बड़े पैमाने पर टारगेट वेबसाइट्स पर डेटा ट्रांसफर करता है। ब्रिटेन के फॉरेन कॉमनवेल्थ एंड डेवलेपमेंट ऑफिस (FCDO) ने एक बयान में कहा, “यह अटैक यूक्रेन की सत्ता के लिए खतरा है। यह यूक्रेन के खिलाफ रूस से आक्रामक व्यवहार का एक और उदाहरण है। इस तरह का विनाशक बर्ताव स्वीकार नहीं किया जा सकता है।”
वहीं, रूस ने DDoS में अपनी भूमिका से साफ इनकार कर दिया है। रूस ने जब से बॉर्डर के पास बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती शुरू की, उसके बाद से बढ़े तनाव के बीच यूक्रेन ने पहले ही DDoS के लिए रूस को दोषी ठहराया था, जिससे यह आशंका बढ़ गई थी कि रूस हमला करने की योजना बना रहा है।
Neuberger ने कहा, “जबकि डिनायल ऑफ सर्विस का सीमित प्रभाव होता है, हाल ही में बड़े पैमाने पर दिखी मेलिशिअस डिजिटल एक्टिविटी किसी बड़े साइबर अटैक की भूमिका हो सकती है जो कि यूक्रेन की प्रभुसत्ता के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है।
रूस के साथ चल रहे तनाव और युद्ध जैसे हालातों के बीच यूक्रेन ने हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा फैसला लिया और देश में डिजिटल करेंसी को कानूनी मान्यता दे दी। क्रिप्टोकरेंसी को एक बिल के माध्यम से कानूनी वैधता मिल गई है और अब यूक्रेन में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अधिकारिक रूप से किया जा सकता है।
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