यूकेलिप्टस का नाम सुनते ही मन नकारात्मकता से भर जाता है. लेकिन गोंडा वजीर गंज के अरूण पांडेय ने न सिर्फ इसके औषधीय गुणों के पहचाना बल्कि तेल के जारिए लोगों को स्वस्थ्य और समृद्ध बनाने में जुटे हुए हैं. इसका तेल और शहद सेहत के लिए संजीवनी साबित हो रहा है. आमतौर पर लोग यूकेलिप्टस के पौधे को लकड़ी के प्रयोग के लिए जानते हैं. इसके पत्तियों से तेल निकालकर दवा बनती है. इसे कम ही लोग जानते हैं कि इस पौधे के फूल से शहद भी बनता है. यह बाल व त्वचा के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं.
वजीरगंज के यूकेलिप्टस के तेल और शहद का स्वाद लोगों को खूब भा रहा है. वजीरगंज के परसहवा निवासी अरुण कुमार पाण्डेय जो दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट व आईएएस की तैयारी कर रहे हैं. ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद आईएएस की तैयारी के साथ ही अरुण पाण्डेय ने यूकेलिप्टिस की पत्ती से तेल और फूल से शहद के कारोबार में हाथ आजमाया. उनके लिए यह वरदान साबित हो गया है. अभी तक इससे वह तकरीबन पचास लाख रुपए तक कमा चुके हैं और काफी लोगों को रोजगार भी दे चुके हैं.
उन्होंने बताया कि एक जनवरी 2018 से इस व्यापार को शुरू किया है. बताया कि उन्होंने तकरीबन पांच हजार पौधे लगाए हैं. जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है. पांडेय ने बताया कि इसके तेल बनाने के लिए पत्तियों को टैंक में डालकर हीट करते हैं. जिससे तेल और भाफ निकलते हैं. सपरेटर में पानी और तेल अलग-अलग हो जाता है. इसकी सप्लाई बड़ी कंपनियों में जैसे डाबर, पतंजलि और अन्य जगहों पर दिया जा रहा है.
कहा कि केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में इसका प्रशिक्षण भी लिया है. इसका नाम यूकेलिप्टाल है. हमने सीमैप में देखा था किस पत्तियों में कितना कन्टेट लेवल है. इसका तेल निकालने की प्रक्रिया कितने समय में निकल आता है. सीमैप में वैज्ञानिक प्रभात सिंह ने इस बारे में हमें प्रषिक्षण दे रहे थे. उन्होंने बताया कि पर्यावरण के हिसाब से इस पौधे को खराब कहने की बात बिल्कुल झूठी है. मैंने पौधे लगाने से पहले काफी रिसर्च किया है. हाईब्रिड यूकेलिप्टस पानी बर्दाश्त नहीं कर सकता है. यह ज्यादा देर पानी में रहेगा तो सूख जाएगा. लेकिन यह पौधा औषधि के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है.
लगाया प्लांट
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक पढ़ाई महर्षि विद्या मंदिर नबाबगंज से हुई. जूनियर हाईस्कूल से इंटर की पढ़ाई स्कालर बोर्डिंग स्कूल देहरादून से पास होने के बाद परिजनों ने ग्रेजुएट के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी भेज दिया. वहां से स्नातक किया. उसके बाद आईएएस की तैयारी करने के साथ यूकेलिप्टस की पत्ती से तेल निकालने का प्लांट लगाया. साल में 50 से 60 कुंतल तेल प्लांट से निकालते हैं और आनलाइन देश में तेल की आपूर्ति कर रहे हैं. इससे अच्छा खास मुनाफा भी हो रहा है.
केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिक राजेश वर्मा कहते हैं कि यूकेलिप्टस की कुछ प्रजातिया है जिनका उपयोग औषधीय ऑयल बनाने में किया जाता है उनमें से यूकेलिप्टस ग्लोबस और तेरह हैं. जिनकी उंचाई नहीं बढ़ने दी जाती है. जिससे पेन रिलीफ बाम व अन्य दवा बनाने में प्रयोग हो रहा है. इसके पुष्प में शहद मिल सकता है. तराई क्षेत्र में इसकी खेती बहुत आराम से की जा सकती है. तेल के लिए इसकी ग्रोथ ज्यादा नहीं की जानी चाहिए.
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