Moon: जब मन खराब न हो तो सब कुछ खराब लगता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मन का आधिपत्य चंद्रमा के पास है. इसलिए जब भी चंद्रमा बिगड़ जाता है तो मन भी खराब हो जाता है. यही नहीं अगर चंद्रमा कमजोर हो जाए तो कुंडली में बने राजयोग फलित नहीं हो पाते हैं. कमजोर चंद्रमा सबसे पहले अपना असर व्यक्ति के स्वभाव पर डालता है. कई बार व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाता है. चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति के मन, स्वास्थ्य, उन्नति को प्रभावित करती है. चंद्रमा जीवन में रस घोलता है. चंद्रमा ही शरीर के भीतर का जल है. रक्तचाप को नियंत्रित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका चंद्रमा ही निभाता है.
जिस प्रकार कुंडली, लग्न को केंद्र मान कर बनाई जाती है उसी प्रकार चंद्रमा को केंद्र मानकर चंद्रकुंडली भी बनाई जाती है इससे स्पष्ट होता है कि चंद्रमा हम लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. कलियुग में मन ही राज कर रहा है, आत्मा पर मन का अधिक प्रभाव हो रहा है. आइए हम लोग चंद्रमा के प्रभावों के विषय में जानते हैं-
निर्बल चंद्र देता है कोल्ड और कफ
चंद्रमा का बल कम होने से व्यक्ति कोल्ड और कफ संबंधी रोग से प्रायः ग्रसित रहता है. चंद्रमा निर्मल, ठंडा एवं कल्पनाशील होता है जब भी इन सब कारको को दूषित या निर्बल करने वाले क्रूर पापा ग्रह का प्रभाव चंद्रमा पर पड़ता है तो चंद्रमा कमजोर हो जाता है. चंद्रमा के लिए सबसे घातक ग्रहण लगाने वाला राहु होता है. चंद्रमा अगर राहु के साथ हो जाए तो व्यक्ति की संगत बिगड़ सकती है. राहु विष देने वाला ग्रह है जिसकी वजह से चंद्रमा पर इसका कुप्रभाव पड़ता है. चंद्रमा शीतल होता है. चंद्र और राहु की युति ग्रहण योग भी बनाती है. जिसकी वजह से रक्त चाप संबंधी रोग भी हो सकता है. चंद्रमा के विषाक्त होने पर व्यक्ति व्यसनों में जल्द फँस सकता है. व्यसनों को छोड़ना असंभव सा हो जाता है. वहीं यह युति अलग-अलग भावों में अपने अलग-अगल फल देती है.
उच्च का चंद्रमा रखे प्रसन्न
जब भी चंद्रमा वृष राशि में होगा तो वह चंद्रमा उच्च का कहा जाता है. यानि जिनकी भी चंद्रराशि वृष होगी उनका चंद्रमा उच्च का होगा. उच्च का चंद्रमा मन को प्रसन्न रखता है. विपरीत परिस्थितियों में भी यह मन को दुखी नहीं होने देते हैं. वहीं अगर उच्च चंद्रमा पर गुरू की दृष्टि पड़ जाए तो चंद्रमा और बलवान हो जाता है. उच्च के चंद्रमा वाला व्यक्ति हमेशा संगत बहुत उच्च कोटि की रखता है. प्लानिंग एवं कल्पना करने वालों के लिए मून का मजबूत होना बहुत ही आवश्यक होता है. सरकारी बड़े पदों पर बैठे व्यक्तियों का यदि चंद्रमा मजबूत हो तो उनकी प्रतिभा और निखर कर प्रदर्शित होती है.
नीच का चंद्र करता है मूडखराब
जब चंद्रमा कुंडली में वृश्चिक राशि में जाता है तो वहां पर नीच का हो जाता है. वृश्चिक ही एकमात्र राशि है जहां पर ग्रह नीच का ही होता है लेकिन उच्च का कोई ग्रह नहीं होता है. जिसकी भी वृश्चिक राशि होती है उनका चंद्रमा नीच का होता है. नीच का चंद्रमा होने से वह कमजोर नहीं होता बल्कि उसकी सिर्फ दिशा बदलती है। ऐसा व्यक्ति अधिक प्रोफेशनल होता है. किन्तु आध्यात्मिक गति के लिए बहुत फिट नहीं होता है.
जब चंद्रमा निर्बल और खराब स्थिति में होता है तो व्यक्ति के भीतर आपराधिक विचार आने लगते हैं. इसके अतिरिक्त मानसिक संतुलन भी ठीक नहीं रहता है. विश्वसनीयता में कमी आने लगती है. चंद्रमा कमजोर होने पर व्यक्ति कोई भी काम बहुत मन से नहीं कर पाता है, उसका मन बहुत जल्दी ही किसी काम से उचट जाता है. वह दिल से भी कमजोर होता है. समस्या आने पर वह जल्द ही घबरा जाता है.
कैसे करें चंद्रमा बलवान
चंद्रमा को बलवान करने के लिए मोती रत्न धारण किया जाता है. कर्क लग्न या राशि वालों के लिए मोती बहुत ही शुभकारी होता है. इसके अलावा चांदी के बर्तनों का भी प्रयोग किया जा सकता है. छोटे बच्चों को अगर शीतरोग अधिक होते हो तो उन्हें मामा के द्वारा चांदी का चंद्रमा और चांदी की कटोरी चम्मच देनी चाहिए. वृश्चिक, मीन, मकर. सिंह वालों को मोती रत्न ज्योतिषी की सलाह पर ही धारण करना चाहिए.
आज की खबरें
Vastu Shastra: घर के इस कौने में होना चाहिए रसाई घर का स्थान, बरसेगी लक्ष्मी जी की कृपा
Chhath Puja 2021: छठ पूजा कब है? जानें नहाय, खरना की तारीख और पूजा की सामग्री