मणिपुर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। राज्य में पहले ही कई विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब खबरें हैं कि 6 और विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं।
नई दिल्ली। अलगे साल देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इसको लेकर सभी पार्टियां मैदान में उतर चुकी हैं। वहीं मणिपुर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। दरअसल, राज्य में एक के बाद एक विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं। हाल में विधायक राजकुमार इमो सिंह और यान्थोंग हौकीप भाजपा में शामिल हो गए। अब खबरें हैं कि 6 और विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं।
मणिपुर में त्रिकोणीय मुकाबला
राज्य के एक कांग्रेस नेता का कहना है कि मणिपुर विधानसभा चुनाव में पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। अभी तक भाजपा की अगुआई में गठबंधन और कांग्रेस के बीच मुकाबला था। लेकिन अब तृणमूल कांग्रेस ने भी राज्य में कई सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें थोड़ी बढ़ सकती हैं। टीएमसी की एंट्री के बाद राज्य में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
वहीं विधायकों के पार्टी छोड़ने की खबरों पर कांग्रेस का कहना है कि जिन विधायकों के पार्टी छोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं, इनमें से कई विधायकों की गतिविधियां पार्टी अनुशासन के खिलाफ हैं। इसलिए, चुनाव से पहले ये विधायक किसी दूसरी पार्टी में जगह तलाश सकते हैं। अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो पार्टी खुद उन पर एक्शन लेगी।
नेताओं के पास बढ़ गए विकल्प
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि टीएमसी ने राज्य में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में नेताओं के पास पार्टी बदलने का एक विकल्प और बढ़ गया है। यही वजह है कि कुछ विधायक टीएमसी और बीजेपी से मोलभाव कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस लिस्ट में कई विधायक तो ऐसे भी हैं जिनका बीजेपी की सीट पर जीत हासिल करना नामुमकिन है।
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गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के मणिपुर में चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि अगर पिछले चुनावों की बात करें तो टीएमसी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन बाद में टीएमसी के विधायक कांग्रेस और भाजपा में शामिल हो गए। वहीं साल 2017 में पार्टी सिर्फ एक सीट जीत दर्ज कर पाई थी।