मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। यानि धनु से मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मान्यतानुसार इस दिन से खरमास भी समाप्त होता है और ऋतू में भी परिवर्तन होता है। इस दिन से शुभ दिनों की शुरुआत हो जाती है। यही समय होता है जब खेतों में चावल, गन्ना आदि की फसल कट चुकी होती है।
मकर संक्रांति पर सबसे खास स्नान और दान का महत्वमाना जाता है। इस दिन दान में खिचड़ी को सबसे उत्तम बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान पुण्य करने से और पवित्र नदी के स्नान करने से कई जन्मों के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु को आत्मज्ञान का दान दिया था। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपनी देह का त्याग किया था कहा जाता है इस दिन गंगा जी भगीरथ के पीछा पीछा चल कर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान वह तीर्थ स्थलों पर स्नान दान के विशेष महत्व माना जाता है।
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