नई दिल्ली: अगर किसी प्राणी को रंग ही न समझ में आएं तो क्या हो? ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है जब यूरोप और नॉर्थ अफ्रीका में सामान्य रूप से पाए जाने वाली जंपिग स्पाइडर में कलर ब्लाइंडनेस देखी गई यानी यह मकड़ी किसी भी रंग में विभेद नहीं कर सकती है. उसके लिए लाल हो या हरा, नीला हो बैंगनी, सभी रंग काले ही नजर आते हैं.
The Science of Nature में पब्लिश हुई रिसर्च
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, यह रिसर्च ‘The Science of Nature’ में पब्लिश हुई है और जिसे सैटिस बारबाइप्स ने एग्जामिन किया है. यह रिसर्च सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर नाथन मोरहाउस और हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में सिंथिया टेडोर के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा की गई थी.
शुरू में हुई थी गफलत
पिट्सबर्ग यूनिवर्सटी में यूसी पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर डेविड आउटमुरो ने बताया कि शुरू में हमें लगा कि वह कम्युनिकेशन के लिए रंगों का उपयोग कर रही थी लेकिन हमें नहीं पता था कि स्पाइडर को रंग दिखाई भी दे रहे हैं या नहीं.
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इस तरह कलर ब्लाइंडनेस के बारे में चला पता
जब साइंटिस्टों ने एक प्रयोग किया कि लाल रंग वाली चीज और काली रंग वाली चीज की प्रति जंपिंग स्पाइडर की एक जैसी प्रतिक्रिया थी. इनका रंग चमकदार हरा होता है, उसके लिए ये अल्ट्रावायलेट किरणों को अवशोषित करती हैं. कई प्रयोगों के बाद ये निष्कर्ष निकला कि इनमें कलर ब्लाइंडनेस होती हैं.
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