प्रकृति और उपायः
मंगल के स्वामित्व वाली राशियाँ मेष और वृश्चिक हैं। यह मकर राशि में सर्वाधिक उच्च स्थिति में तथा कर्क में सबसे कम होता है। शक्ति-सामर्थ्य, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम के स्वामी मंगल का तत्त्व अग्नि है और रंग लाल है। मंगल की धातु ताम्बा और अनाज जौ है। कमजोर मंगल के लिए लाल या सफ़ेद मूंगा धारण करना चाहिए तथा रक्षात्मक या आक्रामक मंगल की मजबूती हेतु नारंगी। ताम्बे के पात्र का उपयोग करना चाहिए। लाल रंग के वस्त्र और हाथों में लाल रंग का कलावा पहनें। सूर्य को अर्घ्य देते समय हनुमान चालीसा का पाठ करने, हनुमान जी की भक्ति और चोला चढ़ाने से मंगल की स्थिति मज़बूत होती है।
प्रभाव और उपायः
मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक के आत्मविश्वास का स्तर कम होने के साथ ही उसका स्वभाव क्रूर और हिंसक हो जाता है। जातक को संपत्ति के मामलों में कठिनाई देखनी पड़ती है। रक्त से सम्बंधित स्वास्थ्य की समस्याएँ हो जाती हैं। क़र्ज़ा या कोर्ट कचहरी के मामले बढ़ते हैं। अशुभ मंगल के कारण जेल जाने के योग भी बनते हैं। विवाह भाव में अशुभ मंगल होने से वैवाहिक जीवन में घोर समस्यायें आती हैं। इसलिए, ज्योतिष द्वारा जन्म कुंडली मिलान के पश्चात् ही विवाह करने की सलाह दी जाती है।