मिनिस्ट्री ने कहा है कि डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी को पता चला है कि कुछ ed-tech कंपनियां फ्री सर्विसेज का लालच देकर अभिभावकों से इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (EFT) की स्वीकृति ले रही हैं या ऑटो-डेबिट फीचर को एक्टिवेट करवा रही हैं। इसमें विशेषतौर पर कम जानकारी रखने वाले परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। मिनिस्ट्री ने लोगों से सब्सक्रिप्शन फीस के भुगतान के लिए ऑटोमैटिक डेबिट ऑप्शन से बचने को कहा है और लर्निंग सॉफ्टवेयर या डिवाइस को लेने से पहले नियमों और शर्तों को पढ़ने की सलाह दी है।
इसके अलावा संबंधित पक्षों से ऑनलाइन लर्निंग का ऑफर देने वाले ऐप्स या कंटेंट वाले डिवाइसेज को खरीदने पर टैक्स इनवॉयस स्टेटमेंट्स मांगने के लिए कहा गया है। मिनिस्ट्री ने इन कंपनियों की सर्विसेज को सब्सक्राइब करने से पहले इनके बैकग्राउंड की जांच करने और कंटेंट की क्वालिटी की पुष्टि करने की भी सलाह दी है। मिनिस्ट्री ने बताया है, “कुछ ed-tech कंपनियां फ्री प्रीमियम बिजनेस मॉडल का ऑफर दे सकती हैं जिसमें उनकी कई सर्विसेज शुरुआत में फ्री दिखती हैं लेकिन इन्हें लगातार हासिल करने के लिए छात्रों को पेड सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है।”
मिनिस्ट्री ने अभिभावकों को किसी ed-tech कंपनी से अपने बच्चे की लर्निंग के लिए सर्विस लेने से पहले भुगतान और कंटेंट से जुड़े अपने संदेह और प्रश्नों का समाधान लेने की भी सलाह दी है। इसके अलावा विशेष ed-tech कंपनी के बारे में छात्रों और अभिभावकों के ऑनलाइन रिव्यू पढ़ने को भी कहा गया है। मिनिस्ट्री का कहना है कि डिवाइस, ऐप या ब्राउजर में पैरेंटल कंट्रोल और सेफ्टी फीचर्स को एक्टिवेट करना चाहिए जिससे विशेष कंटेंट तक एक्सेस को रोकने और ऐप में खरीदारी को सीमित करने में मदद मिल सकती है।
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