Ather Energy के सीईओ और को-फाउंडर तरूण मेहता ने इसे लेकर एक बयान दिया है। CNBC TV18 को दिए एक इंटरव्यू में मेहता ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicle) के लिए अधिकतर बैटरियां भारत में बाहर देशों से लाई जाती हैं। ये बैटरी यहां के मौसम के अनुकूल डिजाइन नहीं की गई हैं। भारत जैसे विकासशील देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग प्रतिदिन अधिक होती जा रही है। लगभग सभी बड़ी ऑटोमोटिव कंपनियां इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स (Electric Two Wheeler) का निर्माण कर रही हैं। जबकि इनके लिए अधिकतर बैटरियां चीन से इम्पोर्ट की जाती हैं। मेहता का कहना है कि इनमें से ज्यादातर बैटरियां यहां के वातावरण के अनुकूल नहीं हैं। भारत में रोड पर औसत तापमान 45 डिग्री के आसपास बना रहता है। ऐसे में बैटरी का ओवरहीट होना स्वाभाविक है।
इसके साथ ही एथर एनर्जी के सीईओ ने ये भी कहा कि इसका दूसरा कारण भारत में हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग बढ़ना भी है। कंपनियां अधिक स्पीड वाले ईवी (EV) बना रही हैं जिनमें बैटरी ओवरहीटिंग होना लाजमी है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि कम पावरफुल मोटर के लिए बनी बैटरी के साथ हाई ग्रेड इलेक्ट्रिक मोटर को लगा देना बैटरी पर ज्यादा थर्मल लोड डालता है। इससे आखिर में बैटरी ओवरहीट हो जाती है और व्हीकल में आग लग जाती है।
जिस तरह से भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग बढ़ रही है, देश में इस सेगमेंट के लिए एक रेगुलेटरी एजेंसी की आवश्यकता है जो यह सुनिश्चित कर सके कि देश में केवल उन्हीं बैटरियों का इम्पोर्ट हो जो यहां के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और यहां के वातावरण के अनुकूल हों। हाल ही में पुणे में रोड के किनारे खड़े ओला एस1 प्रो में आग लग गई थी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले साल सितंबर में, Pure EV के दो स्कूटरों में आग लग गई थी। एक महीने के बाद अक्टूबर में Okinawa के इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की खबर आई थी। दिसंबर में भी HCD India के एक स्कूटर में आग लग गई थी।
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