यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो के रिसर्चर्स ने उन फिंगरप्रिंट डिवाइसेज पर फोकस किया, जो ब्लूटूथ लो एनर्जी (BLE) के साथ कम्युनिकेट करती थीं। BLE टेक्निक को इसलिए डिजाइन किया गया था, ताकि ट्रेडिशनल ब्लूटूथ की पावर कन्सम्प्शन यानी खपत को कम किया जा सके। हालांकि इसके सकारात्मक पक्ष के मुकाबले नकारात्मक पक्ष अधिक थे। यह टेक्निक ट्रेडिशनल ब्लूटूथ को सिर्फ एक फीसदी पावर खर्च करने के लायक बनाती है, लेकिन ब्लूटूथ को लगातार ब्रॉडकास्ट करने की इजाजत भी देती है।
रिसर्चर्स ने ब्लूटूथ से आने वाले सिग्नल्स की खूबियों को पहचानने पर फोकस किया। इस रिसर्च के दौरान पता चला कि ब्लूटूथ सिग्नल की मदद से भी किसी फोन को ट्रैक किया जा सकता है। बशर्ते कि सिग्नल लगातार ब्रॉडकास्ट होते रहें और उस डिवाइस से संबंधित फिंगरप्रिंट की सही पहचान होती रहे।
हालांकि इस ट्रैकिंग मेथड की भी अपनी लिमिट्स हैं। कुछ बीएलई चिपसेट में एक जैसी खामियां होती हैं, जिससे लोकेशन की पहचान करना और मुश्किल हो जाता है। रिसर्चर्स की मानें तो ब्लूटूथ वल्नरबिलिटी को लेकर लोगों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर फिर भी आपको अपनी प्राइवेसी की चिंता है या आप अपनी लोकेशन को गोपनीय रखना चाहते हैं, तो जरूरत नहीं होने पर अपना ब्लूटूथ ऑफ कर दें।
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