एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को उम्मीद है कि साल 2025 तक एक पूर्ण रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार हो जाएगा। हालांकि सेल्फ ड्राइविंग के दौरान लोगों को अलर्ट रहना होगा, ताकि किसी आपात स्थिति में वह गाड़ी पर कंट्रोल कर सकें। कोड के किए जा रहे बदलावों के बाद जब व्हीकल सेल्फ ड्राइविंग मोड में होगा तो ड्राइवर कार की बिल्ट-इन-स्क्रीन में ड्राइविंग से जुड़ा कंटेंट देख सकेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, सेल्फ-ड्राइविंग मोड में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने पर अब भी प्रतिबंध रहेगा, क्योंकि रिसर्च में दिखाया गया है कि इससे ड्राइवर्स का ध्यान भटकने की गुंजाइश ज्यादा रहती है। आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटेन में सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल्स के डेवलपमेंट से वहां की इकॉनमी में साल 2035 तक 38,000 नौकरियां पैदा हो सकती हैं।
देश के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ट्रुडी हैरिसन ने कहा है कि रेगुलेटरी बदलाव सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल्स के लिए मील का पत्थर हैं। यह यात्रा करने के तरीके में क्रांति लाएगा, जिससे भविष्य में किया जाने वाला सफर ज्यादा सेफ और विश्वसनीय होगा। गौरतलब है कि पिछले साल चीन ने भी बीजिंग की सड़कों पर ‘रोबोटैक्सिस’ के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
ब्रिटेन के प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया देते हुए ब्रिटेन में मोटरिंग रिसर्च बॉडी RAC फाउंडेशन के डायरेक्टर स्टीव गुडिंग ने कहा है कि ड्राइवरलैस कारें एक ऐसे फ्यूचर का वादा करती हैं, जिनसे सड़कों पर होने वाले हादसों में कमी लाई जा सकती है। दावा है कि नई तकनीक से इंसानी गलतियों में कमी आएगी और ब्रिटेन की रोड सेफ्टी बेहतर होगी। कहा जाता है कि देश में सड़कों में होने वाली 88 फीसदी गाडि़यों की टक्कर में इंसानी गलती वजह होती है।
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