नासा ने कहा है कि यह खोज ‘सिटीजन साइंटिस्ट’ के एक ग्रुप की वजह से संभव हुई है। इन वॉलंटियर्स ने नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) से डेटा का अध्ययन किया। नासा नियमित रूप से सिटीजन साइंटिस्ट को अपने टेलीस्कोप डेटा तक पहुंच की अनुमति देती है, जिससे वो सौर मंडल के बाहर दुनिया का पता लगा सकें।
वॉशिंगटन के एक पूर्व अमेरिकी नौसैनिक अधिकारी टॉम जैकब्स उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस ग्रह को खोजने में मदद की। नासा ने कहा कि यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विशालकाय ग्रह अपने सूर्य की परिक्रमा 261 दिन में पूरी करता है। यह ‘सुपर-बृहस्पति’ अपने सूर्य से लगभग उतना ही दूर है, जितना हमारे सूर्य से शुक्र ग्रह की दूरी है।
जैकब्स ने कहा कि TOI-2180 b की खोज एक समूहिक कोशिश थी। यह इस बात को भी दर्शाती है कि पेशेवर एस्ट्रोनॉमर्स और सिटीजन साइंटिस्ट एकसाथ काम कर सकते हैं। इस खोज को एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पब्लिश किया गया है। स्टडी के प्रमुख लेखक और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमर पॉल डालबा ने कहा कि वे इस ‘सुपर-बृहस्पति’ को ट्रैक करने की कोशिशों में लगे हैं।
TESS के डेटा का इस्तेमाल वैज्ञानिकों ने तारों की चमक में बदलाव देखने के लिए किया। फरवरी 2020 में सिटीजन साइंटिस्ट और दो अनुभवी एस्ट्रोनॉमर्स के ग्रुप ने ‘सुपर-बृहस्पति’ को खोजने की दिशा में पहली कामयाबी पाई। खास बात यह भी है कि हाल में अंतरिक्ष में लॉन्च हुआ जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जब अपना काम शुरू कर देगा, तब साइंटिस्ट ‘सुपर-बृहस्पति’ के वातावरण को भी देख सकेंगे। साथ ही इसकी परिक्रमा करने वाले छोटे ऑब्जेक्ट्स की उपस्थिति का भी पता चलेगा।
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