नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि वाहन चोरी (Vehicle Theft) के मामले में देरी से सूचना (Late Notice) के आधार पर इंश्योरेंस कंपनियां बीमा क्लेम (Insurance Claim) देने से मना नहीं सकती है. अगर चोरी की सूचना देने में किसी वजह से देर हो जाती है तो भी कंपनी शिकायती के क्लेम को खारिज नहीं कर सकती. बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक ट्रक चोरी के तुरंत बाद ही एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस ट्रक खोजने में नाकाम रही. इसके बाद शिकायती ने बीमा कंपनी को ट्रक चोरी की सूचना दी और बीमा क्लेम का दावा किया. लेकिन, बीमा कंपनी ने शिकायती को बीमा क्लेम देने से मना कर दिया.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने शुक्रवार को एनसीडीआरसी के फैसले को निरस्त करते हुए कहा था कि बीमा कंपनी को चोरी की जानकारी देने में देरी के आधार पर शिकायती के बीमा क्लेम के दावे से इनकार नहीं किया जा सकता, यदि चोरी की घटना की एफआईआर दर्ज करा दी गई है. पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तारी भी की थी, लेकिन ट्रक को बरामद नहीं किया जा सका था. यह मामला साल 2007 का है.
सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक ट्रक चोरी के तुरंत बाद ही एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
चोरी के वाहन को लेकर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
बेंच ने फैसले में कहा कि कंपनी द्वारा ट्रक चोरी की एफआईआर अगले दिन ही दर्ज कराई गई थी और पुलिस ने अभियुक्त को भी गिरफ्तार किया था एवं आरोप पत्र भी दायर की गई थी. इसलिए बीमा दावा महज मामला दर्ज कराने में देरी के आधार पर खारिज कर दिया गया था और जब एफआईआर तुरंत दर्ज कराई गई तथा कानून ने अपना काम भी शुरू कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जब वाहन चेारी होता है तो आदमी की पहली प्राथमिकता चोरी की एफआईआर दर्ज कराना होती है. वह चेारी हुए वाहन को खोजने में पुलिस की मदद भी करना चाहता है. चोरी के संबंध में एफआईआर का पंजीकरण और उसकी जांच के बाद वाहन न मिलने पर पुलिस की अंतिम रिपोर्ट इस बात का पक्का सबूत है कि गाड़ी चोरी हुई है.
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