पीवी पोर्ट सिस्टम को इंस्टॉल करने में कम खर्च आता है। इसका मेंटनेंस भी कम खर्चीला है और 25 से 30 साल तक यह काम करता है। इसे एक शख्स द्वारा भी इंस्टॉल किया जा सकता है और यह देश के मौसम के हिसाब से बेहतरीन है।
इसे 100 फीसदी खुद के इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है। इससे पैदा होने वाली बिजली ग्रिड में नहीं डाली जाती। ट्रेडिशनल सौर PV सिस्टम्स के उलट इसके डिजाइन पैनल नीचे की तरफ होते हैं और एक पीवी सिस्टम से बिजली बिलों पर सालाना 24 हजार रुपये की बचत होती है।
PV पोर्ट्स सिस्टम को नई दिल्ली की सर्वोटेक पावर सिस्टम्स लिमिटेड (SPSL) ने मैन्युफैक्चर किया है। यह हाई एंड सोलर प्रोडक्ट्स जैसे- LED, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और EV चार्जिंग उपकरण बनाती है। कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर रमन भाटिया ने कहा कि देश में सौर ऊर्जा को अधिक से अधिक अपनाने के लिए PV पोर्ट सिस्टम बेहतरीन है।
प्रोजेक्ट को देख रहे और GIZ इंडिया के जोर्ग गेबलर ने कहा कि इस तरह के सहयोग से कस्टमर्स को फायदा होने की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि यह साझेदारी हमें उभरती चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी।
गांधीनगर में 40 पीवी पोर्ट सिस्टम इंस्टॉल किए जाने हैं। सर्वोटेक पावर सिस्टम्स ने पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी, GSPC भवन, इंद्रोदा पार्क, निफ्ट, आर्य भवन और अन्य जगहों पर 30 से ज्यादा सिस्टम पहले ही इंस्टॉल कर दिए हैं। गौरतलब है कि देश में सौर ऊर्जा की संभावनाएं काफी अधिक हैं, लेकिन इसके उपकरणों को इंस्टॉल करने में आने वाला खर्च ज्यादा है। टेक्नॉलजी के किफायती होने से ज्यादा लोग और सौर ऊर्जा को अपना रहे हैं।