कहते हैं कि लोगों को बचाने के लिए भगवान जमीन पर नहीं आ सकते, इसलिए उन्होंने चिकित्सक बनाए. आपने कई फिल्मों में सुना भी होगा कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं. डॉक्टर के इस रूप के पीछे होती है हिप्पोक्रेटिक शपथ (Hippocratic Oath), जो उन्हें खुद से पहले मरीज के बारे में सोचने और कार्य करने के लिए बाध्य करती है. मगर सदियों से दिलाई जा रही इस हिप्पोक्रेटिक शपथ को अब बदलकर चरक शपथ (Charak Shapath) दिलाई जाएगी. ऐसा सुझाव राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission- NMC) की वर्चुअल बैठक के बाद दिया गया है.
आइए जानते हैं कि मेडिकल छात्रों को दिलवाई जाने वाली हिप्पोक्रेटिक शपथ (Hippocratic Oath meaning) और चरक शपथ (What is Charak Shapath) क्या है?
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हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह दिलवाई जाएगी चरक-शपथ!
जब मेडिकल छात्रों (भावी चिकित्सकों) अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं, तो उनकी ग्रेजुएशन सेरेमनी यानी व्हाइट कोट सेरेमनी की जाती है. इस सेरेमनी में ही उन्हें डॉक्टर की उपाधि, स्नातक प्रमाण पत्र आदि चीजें दी जाती हैं. इस सेरेमनी में ही उन्हें हिप्पोक्रेटिक शपथ दिलवाई जाती है, जो उन्हें अपने पद, पेशे और काबिलियत का दुरुपयोग ना करने के लिए मौलिक रूप से बाध्य करती है.
दुनिया के अधिकतर मेडिकल कॉलेज में हिप्पोक्रेटिक शपथ (Hippocratic Oath in hindi) को दिलवाने का चलन है. लेकिन, भारत में मेडिकल पढ़ाई को नियंत्रित करने वाली सर्वोच्च संस्था नेशनल मेडिकल कमीशन ने सुझाव दिया है कि अब हमें विदेशी हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह चरक-शपथ (Charak Shapath meaning) दिलवानी चाहिए. जो कि आयुर्वेद विशारद और चरक संहिता के लेखक महर्षि चरक (Maharishi Charak) द्वारा निर्धारित की गई है.
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Hippocratic Oath: हिप्पोक्रेटिक शपथ क्या है?
ग्रीस यानी यूनान में 460-377 ईसा पूर्व के दौरान हिप्पोक्रेट्स (Greek Physician Hippocrates) नाम के विख्यात और ज्ञानी चिकित्सक हुए थे. जिन्होंने डॉक्टरी पेशे के सिद्धांतों को बताया. इन्हीं सिद्धांतों में से कुछ अंश भावी चिकित्सकों को हिप्पोक्रेटिक शपथ के रूप में याद करवाए जाते हैं. इस हिप्पोक्रेटिक शपथ में ग्रीस के भगवान अपोलो व अन्य देवी-देवताओं को साक्षी मानकर मरीज की जानकारी गोपनीय रखने, मरीज को सही सलाह व दवाई देने व अपने पेशे का दुरुपयोग ना देने के लिए बाध्यकारी माना जाता है.
Charak Shapath: चरक शपथ क्या है?
महर्षि चरक (Maharishi Charak) एक बड़े आयुर्वेद विशारद थे, जिन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से चिकित्सा जगत में क्रांति ला दी थी. इन्होंने ही चरक-संहिता (Charak Samhita) का निर्माण किया था. महर्षि चरक का जीवनकाल आज से 2300-2400 साल पहले माना जाता है और वह कुषाण राज्य के राजवैद्य थे. उन्होंने चरक संहिता के अंदर चिकित्सक पेशे के लिए सिद्धांत दिया है, जिसे चरक शपथ के रूप में दिलवाए जाने की सलाह दी गई है. चरक-शपथ कहती है “ना अपने लिए और ना ही दुनिया में मौजूद किसी वस्तु या फायदे को पाने के लिए, बल्कि सिर्फ इंसानियत की पीड़ा को खत्म करने के लिए मैं अपने मरीजों का इलाज करूंगा.”
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.