Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
नई दिल्ली, 27 जनवरी। प्राचीन चिकित्सा शास्त्र के अंतर्गत रत्न चिकित्सा का भी बहुतायत में प्रयोग होता था। रत्न चिकित्सा के अंतर्गत ग्रह जनित पीड़ा और विभिन्न रोगों की चिकित्सा में रत्नों को पहनना और उनकी भस्म का प्रयोग औषधि के रूप में करने का चलन था। धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त हो गई और इसकी जगह आधुनिक चिकित्सा शास्त्र ने ले ली। किंतु अभी भी कई योग्य वैद्यराज रत्नों की भस्म से विभिन्न रोगों का सफलतापूर्वक उपचार करते हैं। पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए माणिक्य रत्न से जुड़े उपचार के संबंध में जानकारी दी जा रही है। यदि आप रत्न को औषधि के रूप में प्रयुक्त करना चाहते हैं तो योग्य ज्योतिषी और वैद्य से संपर्क अवश्य करें। माणिक्य की भस्म का प्रयोग प्राचीनकाल में बढ़ती उम्र को रोकने और काया को कंचन के समान चमकदार बनाने के लिए राजा महाराजाओं, रानियों द्वारा किया जाता था।
सूर्य की कमजोरी से होने वाले रोग- पित्त ज्वर, पीलिया, हिचकी, गर्मी, अतिसार, सूखारोग, हड्डियों की कमजोरी, लिवर विकार, अम्ल पित्त, आमाशय व्रण, ग्रहणीव्रण, हृदयरोग, विष विकार, दाहक ज्वर सहित अनेक रोग होते हैं। इन रोगों की शांति के लिए योग्य वैद्य के निर्देशन में माणिक्य की भस्म का प्रयोग करना चाहिए।
जानिए. माघ मास में क्यों करना चाहिए धार्मिक साहित्य का दान..?
माणिक्य के गुण- माणिक्य मधुर, शीतल, स्निग्ध, वात पित्त शामक, हृदय रोग नाशक होता है। यह उन्माद, हृदयरोग, भ्रम, रक्त के पित्त आदि को नष्ट करता है।
सेवन- आधी रत्ती अर्थात 60 मिलीग्राम से एक रत्ती की माणिक्य की पिष्टी या भस्म की मात्रा मलाई में मिलाकर दिन में दो बार चाटना चाहिए। इस भस्म के सेवन से नपुंसकता, धातु क्षीणता, हृदयरोग, वात विकार, वातपित्त विकार, क्षयरोग, मधुमेह आदि दूर हाते हैं। अग्नि प्रदीप्त होती है जिससे भूख अच्छी बढ़ जाती है। दीर्घकाल तक सेवन करने से कुष्ठ रोग भी दूर हो जाता है। शरीर की कांति बढ़ती है, नए रक्तकणों का निर्माण होता है और काया कंचन की तरह दमकने लगती है। माणिक्य मेधावर्धक होता है जिससे स्मरणशक्ति बढ़ती है। इसमें रसायन गुण होता है अत: बुढापे को रोकने की सामर्थ्य है।
English summary
Manikya Bhasma is good for Beauty, Health and Fitness.here is details.
Story first published: Thursday, January 27, 2022, 7:00 [IST]