नई दिल्ली. एक तरफ चीन और यूरोपीय देशों में कोरोना के नए मामले में भारी इजाफा हो रहा है. तो दूसरी ओर भारत में कोरोना के मामले में भारी कमी हो रही है. पिछले 24 घंटे में पूरे देश में 1000 के आसपास कोरोना के नए मामले आए हैं. इस बीच एक अप्रैल से कई राज्यों ने कोरोना के कारण लगी पाबंदियों को हटा दिया है. दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में अब मास्क की अनिवार्यता खत्म हो गई है. ऐसे में ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि मास्क और पाबंदियों को हटाने से क्या कोरोना पर काबू पाया जा सकता है क्योंकि कोरोना अभी तक गया नहीं है. डॉक्टर भी इस मुद्दे को लेकर बंटे हुए हैं.
दूसरे देशों से सीख लेने की जरूरत
कुछ डॉक्टरों का मानना है कि बेशक देश में कोरोना की रफ्तार बहुत कम हो गई है लेकिन मास्क को अभी भी अनिवार्य रखा जाना चाहिए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सह चेयरमैन डॉ राजीव जयादेवन का कहना है कि अगर और राज्य मास्क की अनिवार्यता को खत्म करता है तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है. इस मामले में हमें पश्चिमी देशों से सीखना चाहिए. हमने देखा है कि किस तरह अमेरिका ने मास्क को एक बार खत्म कर दिया था जबकि दो-दो बार वैक्सीन ले चुके लोगों को कोरोना हो रहा था. बाद में उसने मास्क को दोबारा लाया. इसके बाद भी दो लहर आई. हमें इनकी गलतियां से सीखना चाहिए बजाए इसके कि हम मास्क की अनिवार्यता को खत्म करें.
फिलहाल बारिश बंद है, लेकिन कब आ जाए…
डॉ जयादेवन कहते हैं, सिर्फ वैक्सीन से हम कोरोना पर काबू नहीं पा सकते हैं. इसके लिए हमें अन्य चीजों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. अगर हम फिनलैंड, ब्रिटेन जैसे देशों को देखें, तो वहां 100 प्रतिशत व्यक्तियों ने कोरोना की दोनों खुराक ले ली है जबकि 99 प्रतिशत ने बूस्टर डोज भी लिया है. इसके बावजूद आज वहां कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी मास्क की अनिवार्यतो को खत्म करने का समय नहीं आया है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा ही है जैसे फिलहाल बारिश बंद हो गई लेकिन कब फिर बरस जाएगी किसी को पता नहीं. पहली लहर के दौरान हमने यही देखा है. इसलिए हम आगे मूर्ख न बनें, इसलिए जरूरी है कि मास्क को अनिवार्य बनाया जाए.
मास्क को लेकर दी ये राय
इधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन केरल इकाई की अध्यक्ष डॉ एन सुल्फी कहती हैं, मास्क को बाहर निकलने पर वैकल्पिक बनाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अस्पतालों और एयर कंडीशन वाले छोटे घरों में मास्क को पहनने का कड़ाई से पालन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि छूट दिए जाने के बाद ब्रिटेन सहित कुछ देशों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. निश्चित रूप से मामले में बढोतरी होगी लेकिन हम इसका प्रबंधन उचित तरह से कर सकते हैं. जब तक कि कोई नया वेरिएंट बहुत बड़ा बदलाव नहीं लाता है, तब तक हम इसे आसानी से मैनेज कर सकते हैं.
मास्क युग में भी लोगों को कोरोना हुआ
दूसरी ओर वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब जॉन ने बताया कि कोविड अब स्थानिक चरण में आ गया है. इसलिए वायरस को कंट्रोल करने के लिए अब सख्त प्रतिबंधों की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि शैक्षणिक और आर्थिक गतिविधियों को अब सामान्य हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मास्क युग में हमने लोगों को कोरोना होते देखा है. हां मास्क को प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन इसके लिए अब चालान करना उचित नहीं है.
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