Low Vision In Child : इन दिनों छोटे बच्चों (Children) में कमजोर विजन (Low Vision) की समस्या काफी देखने को मिल रही है. आमतौर पर यह समस्या खराब लाइफ स्टाइल, पढ़ने या टीवी मोबाइल देखने का गलत तरीका माना जाता है. लेकिन कई बार बच्चों को विजन की समस्या जन्मजात भी होती है. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ये समस्या होती क्यों है? अमेरिकन आसोसिएशन फॉर पीडिएट्रिक ऑफ्थैल्मोलॉजी एंड स्ट्रबिस्मुस के मुताबिक, जिन बच्चों की आंखों में लो विजन की समस्या होती है उनमें कुछ खास लक्षण होते हैं. मसलन, परिचित चेहरे को पहचानने में कठिनाई, पढ़ने में कठिनाई, धुंधलापन, रंग और कंट्रास्ट में अंतर ना कर पाना, सिर दर्द या आंखों का लाल होना या दबाव महसूस होना. ऐसे में सही समय पर इलाज ना होने पर यह ब्लाइंडनेस भी ला सकता है. तो आइए जानते हैं कि बच्चों की आंखों में लो विजन की समरस्या का कारण (Causes) है.
बच्चों की आंखें कमजोर होने की वजह
- तंत्रिका संबंधी समस्याएं
बच्चों में कमजोर आंखों की समस्या तंत्रिका संबंधी समस्याओं के कारण हो सकती है. मसलन, ब्रेन के उन हिस्सों के नर्व का प्रभावित होना जो कि दृष्टि को नियंत्रित करती हैं. आंखों से जुड़ी नर्व का डैमेज होना बच्चों में कमजोर आंखों और अंधेपन को कारण बन सकता है.
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2.आनुवंशिक असर
अगर परिवार में किसी सदस्य को ऐल्बिनिज़म और रेटिनाइटिसपिगमेंटोसा जैसी समस्या रही है तो ये आनुवांशिक स्थितियों के कारण बच्चों में कमजोर आंखें और अंधेपन की समस्या हो सकती है.
- आंखों से जुड़ी बीमारियां
बच्चों में भी ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, रेटिनोब्लास्टोमा जैसी बीमारियां और रेटिना संबंधी रोग हो सकते हैं जिसका सही समय पर उपचार ना करने पर लो विजन की समस्या हो सकती है और आंखें परमानेंट डैमेज हो सकती है.
- जन्मजात समस्या
गर्भावस्था के दौरान 20 से 40वें हफ्ते के बीच बच्चे की आंखों में रेटिना विकसित होना शुरू होता है. इस दौरान किसी तरह की गड़बड़ी के कारण या फिर समय से पहले जन्म के कारण बच्चे को आंखों से जुड़ी गंभीर समस्या हो सकती है.
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5. खराब लाइफ स्टाइल
बच्चों में खराब लाइफस्टाइल की वजह से भी उनकी आंखों में कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जो बाद में लो विजन का कारण बन सकते हैं. मसलन, डाइट में लापरवाही, घंटों टीवी देखना, मोबाइल चलाना, गलत तरीके से बैठकर पढ़ना आदि. इन वजहों से मायोपिया (Myopia) और हाइपरमेट्रोपिया (Hypermetropia) की समस्या हो सकती है जो जीवनभर के लिए बच्चे के लिए परेशानी बन सकता है.
करें ये उपाय
-बच्चों में ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से आई चेकअप करवाएं.
-बच्चों की डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके उनकी आंखों को हेल्दी रखें.
-विटामिन ए से भरपूर चीजों का सेवन करवाएं. जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडा, दूध, गाजर, पीली या नारंगी सब्जियां, पालक, शकरकंद, पपीता, दही और सोयाबीन.
-डाइट में दालें, सूखे मेवे और बीज का सेवन करवाएं.
-ओमेगा 3 से भरपूर फूड्स का सेवन करवाएं.
-पढ़ने-लिखने के तरीके को सही करें जैसे कि सोकर पढ़ने से रोकें.
-पढ़ते समय कमरे में रोशनी सही रखें.
-बच्चों को पास से मोबाइल और टीवी देखने से रोकें.
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