Covid-19 महामारी के इस दौर में जारी लॉकडाउन के साथ बच्चे स्मार्टफोन, टैबलेट, गेमिंग कंसोल, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिता रहे हैं. आज की दुनिया में उन्हें गैजेट्स से दूर रखना और भी कठिन हो गया है. विशेषज्ञ दादा-दादी या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बच्चों का वीडियो कॉल पर बात करने को क्वालिटी टाइम इंटरेक्शन मानते हैं, लेकिन इसके साथ ही वे चेतावनी देते हैं कि इसके बहुत अधिक उपयोग से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
बच्चों के स्क्रीन टाइम को क्यों सीमित किया जाए?
छोटे बच्चों के स्क्रीन के टाइम पर कई रिपोर्ट्स माता-पिता को सलाह देते हैं कि वो अपने बच्चों को अपने फोन, लैपटॉप, टैबलेट और वीडियो गेम पर कम समय तक सीमित करें. भले ही वो कितने मनोरंजक और शैक्षिक हों या बच्चों को व्यस्त रखने में मदद करें. जबकि स्क्रीन टाइम को हृदय रोग या हाई कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते जोखिम से जोड़ने का कोई दीर्घकालिक प्रमाण नहीं है, उसके बाद भी कुछ डॉक्टर्स ने इस बात पर रोशनी डाली है कि यह मोटापे का कारण जरूर बन सकता है.
माता-पिता को अपने बच्चों को कितना स्क्रीन टाइम देना चाहिए?
डॉ. अमित गुप्ता के अनुसार, “यह सलाह दी जाती है कि माता-पिता अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को हर दिन दो घंटे से ज्यादा न रखें. वहीं, 2 से 5 साल की उम्र वाले छोटे बच्चों के लिए सुझाई गई सीमा हर दिन के लिए एक घंटा है.” माता-पिता को अपने बच्चों को बाहर खेलने और अपने दोस्तों के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह देते हुए डॉ. अमित ने कहा, “मीडिया-फ्री जोन, जैसे बेडरूम में कोई स्क्रीन टाइम नहीं, साथ ही मीडिया-फ्री टाइम, जैसे कि खाने की मेज पर कोई इलेक्ट्रॉनिक्स नहीं फायदेमंद हो सकता है.”
इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए प्रजनन क्षमता और IVF सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अरोकिया वर्जिन फर्नांडो ने सलाह दी, “2 साल से कम उम्र के बच्चों को केवल 1 घंटे के लिए सप्ताह में दो या तीन बार और वो भी शिक्षा के लिए स्क्रीन टाइम दिया जाना चाहिए. 2 से 5 साल की उम्र के बच्चों को शिक्षा के उद्देश्य से हर दिन 1 घंटे के लिए गैजेट्स का इस्तेमाल करना चाहिए. 6 साल या उससे बड़े बच्चों को हर दिन 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.”
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18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए द अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि उन्हें बिल्कुल भी स्क्रीन के सामने नहीं आना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे के मस्तिष्क का अधिकांश विकास जीवन के पहले 2 सालों में होता है, यही कारण है कि शिशुओं और बच्चों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे टीवी, टैबलेट, कंप्यूटर, स्मार्टफोन या गेमिंग सिस्टम के साथ जुड़ने के बजाए अपने वातावरण का पता लगाएं और दूसरों के साथ बातचीत करने और खेलने के साथ कई वास्तविक चीजों का अनुभव करें.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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