Friday, October 22, 2021
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फेस मास्क के बिना दो मीटर की सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है काफी- रिसर्च


Covid-19: कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए दुनिया भर में टीकाकरण अभियान जारी है. हालांकि, वायरस से सुरक्षा के लिए फेस मास्क का पहनना भी नई आदत में शामिल हो गया है. ये उस वक्त तक जरूरी होगा जब तक कि महामारी पर काबू न पा लिया जाए क्योंकि कोरोना वायरस बहुत आसानी से फैलकर बीमार कर सकता है. अब, शोधकर्ताओं का कहना है कि इंडोर कोविड-19 के फैलाव को रोकने में दो मीटर वाली सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइन बिना मास्क के काफी नहीं है.

इंडोर कोरोना के फैलाव को रोकने में दो मीटर की दूरी बिना मास्क लगाए काफी नहीं

ये खुलासा कनाडा में McGill University की तरफ से की गई रिसर्च से हुआ है. हालांकि, चहारदीवारी के अंदर फेस मास्क का इस्तेमाल हवा में मौजूद वायरल के अंशों से बीमार होने का जोखिम 67 फीसद तक कम कर सकता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि फेस का इस्तेमाल और हवा की निकासी का अच्छा सिस्टम कोरोना के ज्यादा संक्रामक स्ट्रेन को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खास तौर पर उस वक्त जब सर्दी और फ्लू का मौसम शुरू होनेवाला है. हालांकि, ज्यादातर स्वास्थ्य की गाइडलाइन्स में परिवारों के लिए दो मीटर की सोशल डिस्टेंसिंग की सिफारिश की गई है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए सिर्फ डिस्टेंसिंग काफी नहीं है.

कोरोना से बचाव के लिए मास्क और वेंटिलेंशन का अच्छा सिस्टम भी होना चाहिए

Building and Environment में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक शोधकर्ताओं ने पाया कि जब लोग मास्क नहीं पहने होते हैं, तो वहां 70 फीसद से ज्यादा वायरल के अंश 30 सेंकड के अंदर 2 मीटर से ज्यादा दूर फैल जाते हैं. उसके विपरीत, अगर मास्क पहन लिया जाए तो एक फीसद से भी कम वायरल के अंश 2 मीटर की दूरी पार कर पाते हैं. वैज्ञानिकों ने तरल और गैस के बहाव की जांच के लिए मॉडल का इस्तेमाल कर एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया ताकि चहारदीवारी के अंदर खांसी से निकलनेवाले अंशों की दूरी को सही नापा जा सके.

उन्होंने पाया कि हवा की निकासी, किसी शख्स के बैठने या खड़े होने का अंदाज और फेस मास्क पहनने से वायरल के अंश का फैलाव स्पष्ट रूप से प्रभावित हुआ. गौरतलब है कि खांसी को हवा के जरिए फैलनेवाले वायरस का महत्वपूर्ण स्रोत में से एक माना जाता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक रिसर्च से ये समझने में मदद मिलेगी कि संक्रामक अंश स्रोत से कैसे अपने आसपास फैल सकता है और नीति निर्धारकों को फेस मास्क के लिए गाइडलाइन्स का फैसला करने में मदद मिलेगी. 

 

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