नासा ने बताया है कि जब यह एस्टरॉयड पृथ्वी के सबसे करीब होगा, तब भी इसके और पृथ्वी के बीच की दूरी 51 लाख किलोमीटर से ज्यादा होगी। यह चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी से 13 गुना ज्यादा है। फिर क्यों इसे संभावित रूप से खतरनाक की कैटिगरी में रखा गया है? दरअसल ऐसा एस्टरॉयड के साइज और पृथ्वी से उसकी दूरी को देखते हुए किया जाता है। इसका मतलब यह नहीं होता कि वह एस्टरॉयड पृथ्वी के लिए किसी तरह का खतरा बन सकता है।
Object name ☄️: (2013 BO76)
Is potentially hazardous ????
Close approach date ????️: 2022-Mar-24 22:55
Estimated diameter ????: 202.56 to 452.94 meters
Relative velocity: 49513.45 km/h
— Near-Earth Objects (@ws_neo) March 22, 2022
एक सवाल यह भी है कि इसे ‘क्लोज अप्रोच’ क्यों कहा जाता है। दरअसल, यह एक टर्म है, जो साइंटिस्ट इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए तो जब यह एस्टरॉयड पृथ्वी के पास पहुंचेगा, तब भी इसकी दूरी बहुत अधिक होगी। क्योंकि साइंटिस्ट यह टर्म इस्तेमाल करते हैं, इसलिए BO76 नाम के एस्टरॉयड को नासा की क्लोज अप्रोच लिस्ट में शामिल किया गया है।
नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के अनुसार, एस्टरॉयड BO76 इस हफ्ते पृथ्वी के करीब पहुंचेगा। इसकी रफ्तार लगभग 50,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
CNEOS पृथ्वी के करीब आने वाले ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक करता है, ताकि समय रहते अलर्ट जारी किया जा सके। एजेंसी ने भरोसा दिया है कि उसे अबतक कोई ऐसा बड़ा एस्टरॉयड नहीं मिला है, जो आने वाले वक्त में पृथ्वी से टकराकर इसके लिए खतरा पैदा कर सकता है। कहा जाता है कि आखिरी बार जब एक विशाल एस्टरॉयड पृथ्वी से टकराया था, तो उसने इस ग्रह से डायनासोर का सफाया कर दिया था। अमेरिकी अंतरिक्षा एजेंसी एक ऐसी तकनीक पर भी काम कर रही है, जो पृथ्वी के लिए किसी भी तरह का खतरा बनने वाले एस्टरॉयड के रास्ते को बदल सके।