कोरोना की चौथी लहर की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। देश के अलग-अलग हिस्सों में कई स्कूलों में बच्चों के कोरोना संक्रमण की चपेट में आने की खबरें भी आ रही हैं। इनमें भी देखा जा रहा है निजी स्कूलों के बच्चों में ही कोरोना संक्रमण फैलने के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों से ऐसी कोई सूचना नहीं है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर निजी स्कूल के बच्चों में कोरोना संक्रमण क्यों फैल रहा है। क्या इसके कारण देश में चौथी लहर के आने का खतरा भी है, जिसमें बच्चे विशेष रूप से चपेट में आ सकते हैं?
जयपुर
Updated: April 16, 2022 06:30:03 pm
जयपुर। इन दिनों कई निजी स्कूलों (Private schools) में कोरोना वायरस (Corona Virus spreading in school) का प्रकोप बढ़ने की खबरें सुनने में आ रही हैं। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, जयपुर, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक के कई स्कूलों में कोरोना फैलने (Corona infection rising in School) की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं। लेकिन ये सभी मामले निजी स्कूलों से ही सामने आ रहे हैं। निजी स्कूलों में भी 12 साल से छोटे बच्चों में विशेषकर कोरोना फैलने की खबरें आ रही हैं। इसी के साथ कोरोना की चौथी लहर (Covid Fourth Wave) आने की चर्चा भी जोर पकड़ रही है।
आखिर निजी स्कूलों में ही क्यों फैल रहा है कोरोना संक्रमण
जयश्री पेरीवाल स्कूल में लगातार आ रहे हैं कोरोना संक्रमण फैलने के मामले पिछले 24 घंटे के दौरान जयपुर के जाने-माने संभ्रांत स्कूल जयश्री पेरीवाल में भी एक और बच्चा पॉजिटिव पाया गया है। इसी स्कूल में कुछ दिन पहले भी एक साथ 12 बच्चे पॉजिटिव मिले थे। हालांकि इसमें किसी भी बच्चे में किसी गंभीर संक्रमण की शिकायत नहीं मिली है। बता दें, जयश्री पेरीवाल स्कूल भी जयपुर के बेहद संभ्रांत निजी स्कूलों में गिना जाता है।
बच्चों को न मिली वैक्सीन और न हुआ एक्सपोजर ऐसे में सवाल ये उठता है कि निजी स्कूलों में ही कोरोना संक्रमण की शिकायतें क्यों आ रही हैं। भारत में नेशनल टैक्निकल ए़़डवायजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन के चेयरमैन और जाने-माने महामारी विशेषज्ञ डॉ. ए के अरोड़ा ने पत्रिका को बताया कि दरअसल बच्चों को अभी वैक्सीन नहीं लगी है। साथ ही जो संभ्रांत घरों के बच्चे हैं वे कोरोना के दो साल के दौरान भी वायरस के नैचुरल संक्रमण से बचे रहे। माँ-बाप ने उनको घरों से नहीं निकलने दिया। इसलिए वे सुरक्षित रहे।
भारत 98 प्रतिशत वयस्क आबादी को वैक्सीन देने वाला एकमात्र देश डॉक्टर अरोड़ा ने बताया कि लेकिन हकीकत ये है कि कोरोना कहीं गया नहीं है। हम बचे हुए हैं क्योंकि या तो हमने वैक्सीनेशन से या फिर वायरस के नैचुरल एक्पोजर के कारण कोरोना के खिलाफ एक प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है। पर संभ्रांत घरों के छोटे बच्चे इन सबसे नहीं गुजरे। वैक्सीन इनको दी नहीं गई और मां-बाप ने इनको घर में ही सुरक्षित वातावरण में रखा, इसलिए वायरस को कोई एक्सपोजर अब तक इनको नहीं हुआ है। लेकिन जबसे स्कूल खुले हैं, तो अब ये किसी किसी रूप में वायरस के संपर्क में आ रहे हैं। इसलिए इनमें कोरोना संक्रमण फैलने के मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन डॉ. अरोड़ा का साफ कहना है कि भारत दुनिया का एक मात्र देश है जहां कि 98 प्रतिशत वयस्क आबादी को वैक्सीन लग चुकी है, इसलिए भारत में कोरोना की चौथी लहर (Fourth Wave of Corona) आने के कहीं कोई संकेत नहीं हैं।
बच्चों में कोरोना संक्रमण के गंभीर मामले न के बराबर पर डॉ. अरोड़ा आश्वस्त करते हैं कि बच्चों में कोरोना संक्रमण फैलने के गंभीर मामले अब तक बहुत बिरले ही नजर आए हैं। बच्चों में सामान्यत: यही सर्दी, खांसी-बुखार और गले में दर्द से ज्यादा कुछ नहीं करता। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि जिस भारी संक्रामक XE ओमीक्रोन वैरिएंट की बात की जा रही है वो भी फिलहाल भारत में नहीं आया है और आ भी जाए तो कतई चिंता की बात नहीं है। हमारे पास वैक्सीन तो है ही, साथ ही अब कोरोना के साथ जीने का अनुभव भी है। अब कोरोना से मौतें बहुत ही दुर्लभ से दुर्लभ केसों में ही हो रही हैं।
इसलिए डॉक्टर अरोड़ा कोरोना के चलते स्कूलों को बंद करने की सलाह कतई नहीं देते, हाँ सामाजिक वैक्सीन यानी मास्क, दो गज दूरी और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करने की सलाह अवश्य देते हैं।
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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