जिस डेटा की मदद से इस ग्रह को खोजा गया, उसे केपलर टेलीस्कोप ने अपने रिटायरमेंट से दो साल पहले जुटाया था। यह अब तक खोजा गया सबसे दूर स्थित ग्रह है, जो पिछले रिकॉर्ड से भी दोगुना दूर है।
रिसर्चर्स ने रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मंथली नोटिस में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं।
साइंस एंड टेक्नॉलजी फैसिलिटी काउंसिल (STFC) ग्रांट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ ईमोन केरिन्स ने इस रिसर्च को फंड किया। उन्होंने कहा कि यह खोज इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि केप्लर टेलीस्कोप का मकसद ग्रहों का पता लगाने के लिए माइक्रोलेंसिंग का इस्तेमाल करने का नहीं था।
पृथ्वी से बहुत दूर स्थित एक्सोप्लैनेट को ग्रैविटेशनल माइक्रोलेंसिंग का इस्तेमाल करके ढूंढा जा सकता है। रिसर्चर्स ने अप्रैल से जुलाई 2016 तक के केप्लर के डेटा को अध्ययन किया। तब स्पेसक्राफ्ट माइक्रोलेंसिंग के जरिए लाखों तारों की निगरानी कर रहा था।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) इस दशक के आखिर में नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप (Nancy Grace Roman Space Telescope) को तैनात करेगी। यह टेलीस्कोप माइक्रोलेंसिंग तकनीक का उपयोग करके हजारों ऐसे ग्रहों की खोज कर सकता है, जो पृथ्वी से बहुत दूर स्थित हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का यूक्लिड मिशन भी माइक्रोलेंसिंग के जरिए एक्सोप्लैनेट की खोज कर सकता है। यह अगले साल लॉन्च होने वाला है। उम्मीद है आने वाले वक्त में दुनिया को ऐसे और ग्रहों के बारे में भी पता चलेगा, जो हमसे बहुत दूर हैं, लेकिन हमारे सौर मंडल के ग्रहों से मिलते-जुलते हैं।