वैज्ञानिकों ने इस एस्टरॉयड के आकार और पृथ्वी से कम दूरी को देखते हुए इसे ‘संभावित रूप से खतरनाक’ के तौर पर क्लासीफाइड किया है। भारतीय समय के मुताबिक यह एस्टरॉयड 19 जनवरी की सुबह 3:21 बजे पृथ्वी के सबसे करीब होगा। करीब 89 साल बाद यह एस्टरॉयड पृथ्वी के इतने नजदीक से गुजर रहा है। 89 साल पहले 17 जनवरी 1933 को यह एस्टरॉयड पृथ्वी से 1.1 लाख किलोमीटर की दूरी तक आ गया था। अब यह घटना अगली सदी में होगी। अनुमान है कि 18 जनवरी 2105 को यह एस्टरॉयड पृथ्वी के करीब आएगा।
Earth Sky के अनुसार, इस एस्टरॉयड के नियमित तौर पर पृथ्वी के नजदीक से गुजरने के बावजूद लोगों को डरना नहीं चाहिए। यह भले ही पृथ्वी के पास से गुजरने वाला है, लेकिन यह दूरी भी बहुत ज्यादा है। इस आकार के एक एस्टरॉयड के हर 600000 साल में एक बार पृथ्वी से टकराने की भविष्यवाणी की गई है। यह एस्टरॉयड पृथ्वी के पास से 19.56 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से गुजरेगा। टेलिस्कोप के जरिए इसे सफर करते हुए देखा जा सकेगा। पृथ्वी के पास से जाते समय यह किसी तारे की तरह नजर आएगा।
ऑस्ट्रेलियाई खगोलशास्त्री रॉबर्ट मैकनॉट ने साल 1994 में इस अंतरिक्ष चट्टान की खोज की थी। हालांकि वैज्ञानिक सितंबर 1974 से इसके रास्ते का पता लगा रहे हैं। यह S-टाइप का एस्टरॉयड है, जो अपोलो एस्टरॉयड ग्रुप से संबंध रखता है। दुनियाभर के वैज्ञानिक और खगोलविद इस नजारे को देखने के लिए उत्साहित हैं।
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