1.
रक्त
वाहिकाओं
और
रक्त
के
थक्कों
को
नुकसान
हम
आमतौर
पर
सोचते
हैं
कि
कोविड
से
सांस
संबंधी
समस्याएं
होती
हैं।
लेकिन
ऐसे
कई
साक्ष्य
है,
जो
यह
बताते
हैं
कि
वायरस
लिंग
की
रक्त
वाहिकाओं
में
प्रवेश
कर
सकता
है
और
इसलिए
संभावित
रूप
से
उन्हें
नुकसान
पहुंचा
सकता
है।
कोविड
कई
अंगों
में
पाई
जाने
वाली
रक्त
वाहिकाओं
की
एंडोथेलियल
कोशिकाओं
में
प्रवेश
करता
है,
जो
उन्हें
ठीक
से
काम
करने
से
रोक
सकता
है।
मियामी
में
शोधकर्ताओं
के
अनुसार,
कोविड
-19
फेफड़े
और
गुर्दे
के
अलावा
पुरूषों
के
प्राइवेट
पार्ट
की
कार्यप्रणाली
को
भी
बाधित
कर
सकता
है।
मिलर
स्कूल
के
रिप्रोडक्टिव
यूरोलॉजी
प्रोग्राम
ने
पाया
कि
वायरस
दो
पुरुषों
के
पेनाइल
टिश्यूज
में
मौजूद
था
जो
कोविड
से
बचे
थे,
और
तब
से
उन्हें
अपने
प्राइवेट
पार्ट
के
उत्तेजित
होने
की
समस्या
का
सामना
करना
पड़
रहा
था।
इस
संक्रमण
रक्त
के
थक्के
बनने
की
प्रवृत्ति
को
बढ़ाने
के
लिए
जाना
जाता
है।
रक्त
के
थक्के
जमने
से
घातक
स्ट्रोक,
फेफड़े
की
विफलता,
दिल
का
दौरा
और
महत्वपूर्ण
अंगों
में
रक्त
के
प्रवाह
पर
प्रतिबंध
हो
सकता
है।
इतना
ही
नहीं,
यह
पुरूषों
के
प्राइवेट
पार्ट
में
दर्दनाक
दर्द
भी
पैदा
कर
सकता
है।
2.
लॉन्ग
लास्टिंग
इरेक्शन
लॉन्ग
लास्टिंग
इरेक्शन
सुनने
में
आकर्षक
लग
सकता
है।
खासकर,
उन
पुरुषों
के
लिए
जो
बेड
पर
लंबे
समय
तक
परफॉर्म
करना
चाहते
हैं,
लेकिन
इसके
भी
कई
दुष्प्रभाव
हैं,
जिससे
आप
शायद
नावाकिफ
हों।
ऐसे
कई
मामले
देखने
में
आए
है,
जिनके
इरेक्शन
अंत
या
दिनों
तक
घंटों
तक
चले
हैं।
लगातार
इरेक्शन
के
कारण
टिश्यू
डेथ,
परमानेंट
डैमेज
या
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
आदि
समस्याएं
भी
हो
सकती
हैं।
यह
समस्या
होने
पर
इसका
इलाज
करवाना
आवश्यक
हे।
आमतौर
पर
इसका
इलाज
या
तो
लिंग
में
एक
इंजेक्शन
द्वारा
किया
जाता
है
या
फिर
इरेक्टाइल
चैम्बर
से
रक्त
निकालने
के
लिए
सुई
या
छोटे
चीरे
का
उपयोग
किया
जाता
है।
सबसे
पहले
अमेरिका
के
ओहियो
में
एक
69
वर्षीय
व्यक्ति
में
कोविड
से
संबंधित
लगातार
इरेक्शन
का
मामला
सामने
आया
था,
जिसकी
बाद
में
वायरस
से
मृत्यु
हो
गई।
ऑस्ट्रिया
के
विएना
में
भी
एक
गरीब
12
वर्षीय
लड़के
को
24
घंटे
का
इरेक्शन
हुआ।
3.
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
महामारी
की
शुरुआत
से
ही,
डॉक्टरों
ने
चेतावनी
देना
शुरू
कर
दिया
था
कि
कोविड
पुरुषों
में
स्तंभन
दोष
अर्थात्
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
का
कारण
बन
सकता
है।
हालांकि,
जहां
अन्य
कई
वैस्कुलर
डिसीज,
जैसे
कि
कोरोनरी
धमनी
रोग,
उच्च
रक्तचाप
और
मधुमेह,
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
का
कारण
बन
सकते
हैं,
यह
पूरी
तरह
से
आश्चर्यजनक
नहीं
है
कि
कोविड
भी
पुरूषों
की
क्षमता
को
प्रभावित
कर
सकता
है।
ऐसा
इसलिए
भी
हो
सकता
है
कि
इससे
रक्त
वाहिकाओं
में
सूजन
हो
सकती
है।
यह
एक
ऑब्सट्रकल
की
तरह
काम
कर
सकता
है
और
इरेक्शन
प्राप्त
करने
की
क्षमता
को
नकारात्मक
रूप
से
प्रभावित
कर
सकता
है।
चूंकि
कोरोना
ब्लड
वेसल्स
और
अन्य
कार्डियोवैस्कुलर
सिस्टम
को
नुकसान
पहुंचाता
है
तो
यह
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
को
ट्रिगर
कर
सकता
है।
वैज्ञानिकों
द्वारा
दिया
जाने
वाला
एक
सिद्धांत
यह
भी
हैं
कि
कोरोना
वायरस
के
कारण
फेफड़ों
को
पर्याप्त
मात्रा
में
ऑक्सीजन
नहीं
मिल
पाता
है
और
फेफड़ों
से
जुड़ी
ऑक्सीजन
की
यह
कमी
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
की
वजह
बन
सकती
है।
मियामी
यूरोलॉजिस्ट
जिन्होंने
कोरोनोवायरस
की
खोज
की
थी,
के
अनुसार,
वायरस
लिंग
में
प्रवेश
कर
सकते
हैं।
उन्होंने
ऐसे
दो
पुरुषों
को
देखा
था
जो
इरेक्टाइल
डिसफंक्शन
से
पीड़ित
थे।
हालांकि,
कोविड
होने
से
पहले
उन्हें
इरेक्शन
की
कोई
समस्या
नहीं
थी।
लेकिन
उनके
संक्रमण
के
सात
से
नौ
महीने
बाद,
उन्होंने
पेनाइल
इम्प्लांट
सर्जरी
करवाने
पर
विचार
किया।
4.
लिंग
का
सिकुड़ना
कोरोना
वायरस
का
अगर
पुरूषों
पर
होने
वाले
नकारात्मक
प्रभावों
की
बात
की
जाए
तो
इसमें
एक
यह
भी
है
कि
इसके
कारण
पुरूषों
के
लिंग
का
साइज
छोटा
होने
लगा
है।
यूनिवर्सिटी
कॉलेज
लंदन
के
नेतृत्व
में
3,400
लोगों
के
एक
अध्ययन
में
पाया
गया
कि
200
में
लंबे
समय
तक
कोविड
के
लक्षण
बताए
गए,
जिसमें
कुछ
के
पेनिस
का
आकार
छोटा
हो
गया
था.
लैंसेट
की
ईक्लिनिकल
मेडिसिन
में
प्रकाशित
निष्कर्षों
के
अनुसार,
लगभग
पांच
प्रतिशत
पुरुषों
को
टेस्टिकल/लिंग
के
आकार
में
कमी
का
सामना
करना
पड़ा।
ऐसा
शायद
इसलिए
है,
क्योंकि
इससे
रक्त
वाहिकाओं
पर
वायरस
से
नुकसान
होता
है।
ऐसे
कई
लोग
है,
जिन्हें
कोरोना
वायरस
से
संक्रमित
होने
के
बाद
कई
तरह
से
सेक्सुअल
प्रॉब्लम्स
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
इन्हीं
में
से
एक
है
लिंग
का
सिकुड़ना।
हाउ
टू
डू
इट
में
कॉल
करते
हुए
एक
शख्स
ने
बताया
था
कि
पिछले
साल
जुलाई
में
वो
कोविड
से
संक्रमित
हो
गया
था
और
बहुत
बीमार
था।
जब
अस्पताल
से
बाहर
निकला
तो
उसमें
स्तंभन
दोष
के
लक्षण
दिखने
लगे।
बीमार
होने
से
पहले
उसके
लिंग
का
आकार
सामान्य
था,
लेकिन
कोविड
से
संक्रमित
होने
के
बाद
उसका
लिंग
करीब
डेढ़
इंच
कम
हो
चुका
था।
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