Causes of azoospermia: ब्रह्मांड में जीवों के अस्तित्व को कायम रखने के लिए अपनी ही जैसी संतान की उत्पत्ति जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होगा तो प्रकृति की लय बिगड़ जाएगी. सीधे शब्दों में कहें तो संसार में प्रत्येक जीवो को अपनी ही जैसी संतान को पैदा करने की आवश्यकता होती है. इस प्रक्रिया में प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive health) का हेल्दी होना जरूरी है. प्रजनन के माध्यम से ही नई संतान का जन्म होता है. प्रजनन में भाग लेने के लिए शुक्राणु (Sperms) और अंडाणु (ovum)का हेल्दी होना जरूरी है. इन दोनों के बिना प्रजनन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती और नई संतान भी पैदा नहीं ले सकती.
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वेबएमडी के मुताबिक शुक्राणु पुरुषों में मौजूद होते हैं. एक स्वस्थ्य मनुष्य में 20 करोड़ प्रति मिलीमीटर शुक्राणु पाए जाते हैं लेकिन बिगड़ते लाइफस्टाइल के कारण इनकी संख्या में तेजी से गिरावट आने लगी है. अगर गिरावट बहुत निचले स्तर पर पहुंच गई है तो यह एजोस्पर्मिया (Azoospermia)के लक्षण हो सकते हैं. एजोस्पर्मिया के कारण कोई भी पुरुष पिता बनने में नाकाम रह सकता है. एजोस्पर्मिया के लक्षण को बाहर से पहचाना नहीं जा सकता. जांच के बाद ही पता चलता है कि किसी को एजोस्पर्मिया है या नहीं. कारण जानने के बाद आप भी एजोस्पर्मिया के जोखिम को कम कर सकते हैं.
एजोस्पर्मिया के क्या है कारण
कभी-कभी अंडकोष (testicles)में चोट लग जाती है जिसके कारण जो स्पर्म बनते हैं, वह नहीं बन पाते.
कभी-कभी प्रजनन नलिकाओं में इंफेक्शन हो जाता जिसके कारण भी शुक्राणु नहीं बनते.
अगर बचपन में वायरल ऑर्काइटिस (viral orchitis)की बीमारी लग गई है तो यह एक या दोनों अंडकोष में सूजन का कारण हो सकती है. इससे शुक्राणु नहीं बन पाते.
अचानक प्रजनन अंगों के आस-पास तेज चोट लगने से भी शुक्राणु नहीं बनते.
कभी-कभी कैंसर जैसी बीमारी में कीमोथेरेपी से गुजरना पड़ता है. कीमोथेरेपी के कारण शुक्राणु नहीं बनते.
एक आनुवांशिक रोग क्लिनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter syndrome)के कारण भी शुक्राणु नहीं बनते.
कभी-कभी अंडकोष में स्पर्म तो बनते हैं लेकिन कई कारणों से वे बाहर नहीं आ पाते. जैसे कभी-कभी स्पर्म यूरिन में आ जाते हैं या रास्ता ब्लॉक होने के कारण वहीं अटक जाता है, इस परिस्थिति में भी पुरुष पिता बनने से वंचित रह सकते हैं.
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इलाज क्या है
एजोस्पर्मिया के कई कारण होते हैं. इसलिए जांच से ही पता चलेगा कि इसका कारण क्या है. कारण जानने के बाद डॉक्टर इसका इलाज करते हैं. आमतौर पर सर्जरी ही इसका इलाज है. जो लोग सर्जरी नहीं कराना चाहते हैं उन्हें एक सूई लगाकर स्पर्म को निकाला जाता है. इससे आईवीएफ कराया जा सकता है.
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