Coffee can increase Digestion Power : हमेशा से ही कॉफी (Coffee) पीने के कई फायदे और नुकसान की बातें सामने आती रही हैं. ऐसे में ये फैसला करना मुश्किल होता है कि कैफीन (Caffeine) से भरपूर इस पेय पदार्थ (Drinkable item) का सेवन करना चाहिए या नहीं? इसी क्रम में हुई एक और स्टडी में बताया गया है कि कॉफी पीने का पाचन शक्ति (Digestive power) और आंत (Gut) पर सकारात्मक प्रभाव होता है. इतना ही नहीं, ये पित्ताशय की पथरी (Gallstones) और लिवर से जुड़ी कई बीमारियों (Liver Diseases) से बचाव करती है. फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च (French National Institute of Health and Medical Research) के साइंटिस्टों द्वारा की गई इस स्टडी का निष्कर्ष ‘न्यूट्रीएंट (Nutrient)’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस नई स्टडी में पहले प्रकाशित हो चुकी 194 स्टडीज की समीक्षा (Review) करने के बाद ये सामने आया है कि कॉफी के सीमित उपभोग (limited consumption) से डाइजेस्टिव सिस्टम से जुड़े बॉडी पार्ट्स को कोई नुकसान नहीं होता है. इसके लिए रोजाना 3 से 5 कप कॉफी अच्छी है.
कॉफी (Coffee) से जुड़े दो खास बिंदुओं पर स्टडी में इन दिनों काफी दिलचस्पी है. पहला ये क्या कॉफी से पित्ताशय की पथरी (Gallstones) होने का खतरा कम होता है. दूसरा ये कि क्या कॉफी का संबंध पैनक्रियाटिक (Pancreatic) का खतरा कम होने से भी है. हालांकि इसकी पुष्टि के लिए अभी और रिसर्च होना जरूरी है.
स्टडी में क्या निकला
ताजा स्टडी में इस बात का भी जोरदार समर्थन किय गया है कि कॉफी से हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (hepatocellular carcinoma) यानी लिवर का सर्वाधिक सामान्य कैंसर, समेत कई अन्य रोगों में भी सुरक्षा मिलती है. कॉफी से डाइजेशन की फर्स्ट स्टेज में मदद मिलने के प्रमाण मिलने के बावजूद अधिकांश डाटा इस बात की पुष्टि नहीं करते कि कॉफी का गेस्ट्रो-ओसेफैगल (ग्रासनलिका) रीफ्सक्स पर सीधा प्रभाव पड़ता है. हालांकि इशका कारण मोटापे और खराब खाने जैसे अन्य जोखिम वाले कारकों का एक संयुक्त प्रभाव भी हो सकता है.
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क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी को करने वाले फ्रेंच नेशनल ऑफर हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च के निदेशक, एस्ट्रिड नेहलिग (Astrid Nehlig) का कहना है, कुछ अवधारणाओं के उलट, कॉफी का संबंध पेट या पाचन संबंधी समस्याओं से नहीं है. कुछ मामलों में तो कॉफी कब्ज (Constipation) जैसी समस्याओं से बचाव भी करती है. कुछेक डाटा तो ये बताते हैं कि कॉफी से बीफोडोबैक्टीरिया (bifodobacteria) जैसे लाभकारी गट बैक्टिरिया (gut bacteria) का लेवल बढ़ता है. हालांकि इन सब बातों के बावजूद पूरे पाचन नाल पर कॉफी के प्रभाव को और बेहतर ढंग से समझने के लिए अभी और स्टडी की जरूरत है.
कॉफी के तीन अहम असर
– कॉफी का संबंध गैस्ट्रिक, बाइलरी और पैनक्रिएटिक (अग्नयाशय) स्राव से है, जो खाने को पचाने के लिए जरूरी है. पाया गया है कि कॉफी पाचन हार्मोन गैस्ट्रीन के निर्माण और गैस्ट्रिक जूस में मौजूद रहेने वाले हाईट्रोक्लोरिक एसिड के उत्पादन को उत्प्रेरित (stimulate) करती है. ये दोनों पेट में खाद्य पदार्थ (food ingredient) को तोड़ने में मदद करते हैं. कॉफी कोलेसिस्टोकइनिन (cholecystokinin) यानी सीसीके हार्मोन के स्राव को बढ़ावा देती है, तो पित्तरस (bile) का उत्पादन बढाने के साथ ही पाचन को भी मजबूत करता है.
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– कॉफी से आंत की माइक्रोबायोटा की संरचना (composition of microbiota) में भी बदलाव आता है. रिव्यू स्टडी में पाया गया है कि गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट (gastrointestinal tract) में मौजूद रहने वाले बीफीडोबैक्टीरिया (bifidobacteria) की संख्या में पर असर होता है.
– कॉफी कोलोन मोटिलिटी (colon motility)यानी खाने के पाचन नाल से गुजरने की प्रक्रिया से जुड़ी है. कॉफी कोलोन मोटिलिटी को बढ़ा देती है. कैफीन रहित कॉपी जहां मोटिलिटी को 23% तेज करती है, वहीं एक गिलास पानी की तुलना में 60% तेजी आती है. इससे पुरानी कब्ज (chronic constipation) का खतरा भी कम होता है.
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