नई दिल्ली. भारत दुनिया के सबसे बड़े कार निर्माताओं में से एक माना जाता है. इसका कारण ज़ाहिर तौर पर यहां के बढ़ते मध्यम वर्ग की मांग जनित आपूर्ति को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर हो रहा वाहन निर्माण है.
आज कई देशी व विदेशी कंपनियां भारी-भरकम सुविधाओं से लैस वाहनों की पेशकश उपभोक्ताओं के सामना कर रहे हैं. लेकिन आज भी कुछ पुरानी कारें ऐसी हैं जिन्हें कई भारतीय दोबारा से सड़कों पर रफ्तार पकड़ते देखना चाहेंगे. आज हम ऐसी ही 5 कारों की बात करेंगे जो एक समय में भारतीय सड़कों पर राज करती थीं लेकिन बदलते समय के साथ पर्यावरण नियमों, दाम व अन्य कारणों से कंपनियों ने इनका निर्माण बंद कर दिया.
टाटा सिएरा
इसे टाटा की अब तक की सबसे खूबसूरत कारों में से एक माना जाता है. यह सही मायनों में भारत की पहली एसयूवी कही जा सकती है. टाटा टेकोलीन पर आधारित सिएरा कंपनी के शुरुआती यात्री वाहनों में से एक थी. टाटा ने ऑटो एक्सपो 2020 में एक इलेक्ट्रिक कॉन्सेप्ट कार का प्रदर्शन किया जो सिएरा का ही परिवर्तित इलेक्ट्रिक वर्जन है.
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मारुति सुजुकी ओमनी
मारुति की ओमनी तो 90 और 2000 के दशक में बड़े हुए सभी लोगों को याद होगी. यह मारुति की अब तक की सबसे अधिक बिकने वाली कारों में से एक है. मारुति ने अपनी पहली कार 800 के बाद इसे लॉन्च किया था और इसमें 800 वाला इंजन ही इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, बाद में इसकी जगह इको ने ले ली।
मारुति सुजुकी जिप्सी
कंपनी ने 2018 में इसका प्रोडक्शन आम लोगों के लिए बंद कर दिया लेकिन अब भी यह एक आइकॉनिक कार है. जिप्सी उन लोगों के बीच बहुत पंसद की जाती थी जिन्हें पहाड़ों या उबड़-खाबड़ जगहों पर जाना होता था. यह बेहद ताकतवर लेकिन हल्की कार थी. अब कंपनी इसका निर्माण बहुत छोटे स्तर पर केवल सेना के लिए करती है. मारुति की योजना इसे ‘जिम्मी’ से बदलने की है.
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हिन्दुस्तान एंबेसडर
यह एक वीआईपी कार मानी जाती थी. बहुत लंबे समय तक राजनेताओं, नीति निर्माताओं और अधिकारियों की पसंदीदा कार रही थी. बाद में इसे फैमिली सिडान कार में रूप में ख्याति मिली. कई नई कारें बाज़ार में आने के बावजूद कोलकाता में आज भी अधिकांश पीली टैक्सियां एंबेसडर ही हैं. यह कार 1956 से 2014 तक निर्माण में रही थी.
हिन्दुस्तान कंटेसा
एंबेसडर के निर्माताओं की इस एक और पेशकश को प्रीमियम सिडान कार माना जाता था. यह एक मसल कार थी जिसका निर्माण 1984 से 2002 तक हुआ. बाजार में कंपनियों द्वारा कम ईंधन की खपत करने वाली कारें उतारे जाने के बाद यह धीरे-धीरे मार्केट से खत्म हो गई और इसका निर्माण रोक दिया गया.
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