इससे पहले रिमोट ऑब्जर्वेशन के जरिए चंद्रमा में पानी की मौजूदगी की पुष्टि हो गई थी, लेकिन अब जाकर लैंडर ने वहां की चट्टानों और मिट्टी में पानी के लक्षण पाए हैं। लुनर लैंडर पर सवार एक डिवाइस ने रेजोलिथ (regolith) और चट्टान के स्पेक्ट्रल परावर्तन को मापा और पहली बार मौके पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया।
चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज (CAS) के रिसर्चर्स के हवाले से समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया है कि पानी की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है, क्योंकि पानी के अणु या हाइड्रॉक्सिल लगभग तीन माइक्रोमीटर की आवृत्ति पर अवशोषित होते हैं। रिसर्चर्स ने कहा है कि सौर हवा ने चंद्रमा की मिट्टी में सबसे अधिक ह्यूमैडिटी बनाई है। इसकी वजह यह है कि सौर हवा अपने साथ हाइड्रोजन लाती है, जोकि पानी बनाती है। रिसर्चर्स के अनुसार, चट्टान में 60ppm अतिरिक्त पानी चंद्रमा के आंतरिक भाग से पैदा हो सकता है। स्टडी से पता चला है कि चंद्रमा के जलाशय खराब होने के कारण यह कुछ समय में सूख गया था।
Chang’e-5 स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा के मध्य-उच्च अक्षांश पर स्थित सबसे यंग बसॉल्ट पर लैंड किया था। इसने मौके पर ही पानी का पता लगाया और 1,731 ग्राम वजन के बराबर सैंपल इकट्ठा किए। एक रिसर्चर लिन होंगलेई ने सिन्हुआ को बताया कि जो सैंपल इकट्ठा किए गए थे, वह सतह और नीचे दोनों जगह से हैं। स्टडी के अनुसार, मौजूदा रिजल्ट Chang’e-5 सैंपलों के शुरुआती विश्लेषण के हिसाब से हैं।
इस निष्कर्ष से चीन के Chang’e-6 और Chang’e-7 मिशन के लिए और ज्यादा क्लू मिलते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी से जुड़ी जांच इसलिए भी अहम है, क्योंकि आने वाले दशकों में मानवयुक्त चंद्रमा स्टेशनों का निर्माण की योजनाएं कई देशों द्वारा की जा रही हैं।
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